1. मथुरा का कृष्ण जन्मभूमि मंदिर यहां के मुख्य तीर्थ स्थानों में से एक माना जाता है। ये सदियों पुराना मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र यानी प्रद्युम्न के बेटे अनिरुद्ध के पुत्र ने करवाया था। हर साल जन्माष्टमी के अवसर पर यहां दीवाली जैसा माहौल होता है।
2. भगवान कृष्ण के जन्म से पूर्व उनकी जन्मस्थली शनिवार को सुबह 6 बजे मंगला आरती की गई। मंगला आरती यहां पूरे वर्ष में एक बार सिर्फ जन्माष्टमी के दिन ही होती है। कहा जाता है कि जो भी भक्त इस मंगला आरती के दर्शन करता है, वो जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है।
3. कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के अंदर जेल कक्ष-नुमा गर्भगृह बना हुआ है। ऐसी मान्यता है कि इसी स्थान पर कंस द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के माता-पिता देवकी और वासुदेव को कैद करके रखा गया था और यहीं भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था।
4. परिसर के अंदर एक छोटा तीर्थ मंदिर है जो गहनों से सजे भगवान कृष्ण को समर्पित है। यहां से जेल कैदियों को पानी दिया जाता था। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थल पर मंदिर सर्वप्रथम कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ द्वारा बनवाया गया था।
5. यह मंदिर तीन बार तोड़ा और चार बार बनाया जा चुका है। वर्तमान में इस मंदिर में भगवान कृष्ण के जीवन से सम्बन्धित दृश्यों के चित्र और भगवान कृष्ण व उनकी प्यारी राधा की मूर्तियां हैं।
6. हर साल जन्माष्टमी के अवसर पर यहां देश और दुनिया से लाखों की संख्या में भक्त आते हैं और श्रीकृष्ण जन्म व महाभिषेक कार्यक्रम का आनंद लेकर अभिभूत होते हैं। 7. जन्माष्टमी के अवसर पर जन्मभूमि परिसर में स्थित श्रीकेशवदेव मंदिर में विविध प्रकार के पुष्प,-पत्र एवं वस्त्रों से निर्मित भव्य बंगले में ठाकुरजी विराजित किए जाते हैं।
8. जन्म महाभिषेक का कार्यक्रम रविवार रात्रि लगभग 11ः00 बजे श्रीगणेश-नवग्रह आदि पूजन से शुरू होता है। रात्रि 12ः00 बजे भगवान के प्राकट्य के साथ भगवान के जन्म की महाआरती शुरू होती है, जो रात्रि लगभग 15 से 20 मिनट तक चलती है।
9. जन्माष्टमी के दिन पूरी मथुरा नगरी पूज्यनीय होने के साथ साथ दर्शनीय भी होती है। कृष्ण जन्मभूमि के अलावा यहां के प्रेम मंदिर, इस्कॉन मंदिर, बांके बिहारी मंदिर आदि तमाम बड़े और छोटे मंदिरों को दुल्हन की तरह सजाया जाता है।
10. इस दिन कान्हा की नगरी पूरी कृष्ण की भक्ति में सराबोर नजर आती है। हर जगह सिर्फ राधे कृष्णा की ही गूंज होती है।