scriptपितृ पक्ष को क्यों कहते हैं कनागत, पढ़िए बाँके बिहारी मंदिर से आशीष गोस्वामी की ये कथा | Why pitru paksh known as Kanagat a story from banke bihari mandir | Patrika News

पितृ पक्ष को क्यों कहते हैं कनागत, पढ़िए बाँके बिहारी मंदिर से आशीष गोस्वामी की ये कथा

locationमथुराPublished: Sep 22, 2019 05:55:41 am

मनुष्य योनि में जो आप दान करते हो, वही मरने के पश्चात् कई गुना पाते हो। इसलिए आपके लिए यहाँ सिर्फ सोना ही सोना है, भोजन नहीं।

Pitru Paksha 2019

Pitru Paksha 2019

पितृ पक्ष को कनागत के नाम से भी जाना जाता है। कनागत यानी कर्णागत (कर्ण + आगत )। ऐसी मान्यता है कि कर्ण की मृत्यु के पश्चात् जब कर्ण यमराज की नगरी में पहुंचे तो उन्हें खाने के लिए कुछ नही मिला। भूख-प्यास से व्याकुल हो कर्ण यमराज के समक्ष जाकर बोले- हे, यमराज मुझे भूख लगी है। तब यमराज ने कहा- हे कर्ण तुमने जीवन भर सोना ही सोना दान किया है और मनुष्य योनि में जो आप दान करते हो, वही मरने के पश्चात् कई गुना पाते हो। इसलिए आपके लिए यहाँ सिर्फ सोना ही सोना है, भोजन नहीं।
banke bihari
तब कर्ण ने यमराज से 16 दिनों के लिए पृथ्वी पर वापस भजने का आग्रह किया। इस प्रकार इन 16 दिनों में कर्ण ने भोजन और अन्न का दान किया। तब से यह 16 दिनों का समय पितृ पक्ष कहा जाने लगा।
Banke Bihari
पूर्वजों की मृत्यु की तिथि पता न होने पर श्राद्ध कैसे दें
हिन्दू धर्म की तिथि अनुसार यदि आपको अपने पूर्वज जी मृत्यु की तिथि याद नहीं है तो आप पितृ पक्ष के अंतिम दिन यानि अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध कर सकते है| इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है।

प्रस्तुतिः आशीष गोस्वामी
श्री बाँके बिहारी जी मंदिर, श्री धाम वृंदावन (मथुरा)
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