ये है मामला
विमला के पति पेशे से ट्रक ड्राइवर थे। कुछ माह पूर्व उसके पति के पैर की नस में समस्या हो गई थी। समस्या इतनी बढ़ गई कि डॉक्टर को उसके पति का पैर काटना पड़ा। अब महिला अपने पति का दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाना चाहती है। इसके लिए वो पति को पीठ पर लादकर सीएमओ आॅफिस पहुंची। जानकारी के अभाव में पहले तो महिला काफी समय तक इधर से उधर भटकती रही। बाद में सीएमओ आॅफिस से महिला को पति का फोटो खिंचाने के लिए कहा गया।
विमला के पति पेशे से ट्रक ड्राइवर थे। कुछ माह पूर्व उसके पति के पैर की नस में समस्या हो गई थी। समस्या इतनी बढ़ गई कि डॉक्टर को उसके पति का पैर काटना पड़ा। अब महिला अपने पति का दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाना चाहती है। इसके लिए वो पति को पीठ पर लादकर सीएमओ आॅफिस पहुंची। जानकारी के अभाव में पहले तो महिला काफी समय तक इधर से उधर भटकती रही। बाद में सीएमओ आॅफिस से महिला को पति का फोटो खिंचाने के लिए कहा गया।
जानकारी न होने के कारण नहीं किया ट्राइसाइकिल के लिए आवेदन
इसके लिए वो यहां वहां व्हीलचेयर ढूंढती रही, लेकिन कहीं व्हीलचेयर नहीं मिली। उसके बाद महिला ने पति को पीठ पर लादकर ही पति को फोटो खिंचाने ले गई। जब विमला से ट्राइसाइकिल के लिए आवेदन किए जाने की बात पूछी गई तो उसने कहा कि मुझे जानकारी नहीं है कि आवेदन कैसे किया जाता है। वहीं कोई मददगार भी नहीं है। इसलिए उन्होंने अब तक कोई आवेदन नहीं किया। वे हर जगह पति को ऐसे ही पीठ पर लादकर ले जाती हैं। वहीं इस बारे में जब जिले के प्रभारी मंत्री भूपेन्द्र चौधरी से बात की गई तो उन्होंने इसे सभ्य समाज की दुखद तस्वीर बताकर बात खत्म कर दी।
इसके लिए वो यहां वहां व्हीलचेयर ढूंढती रही, लेकिन कहीं व्हीलचेयर नहीं मिली। उसके बाद महिला ने पति को पीठ पर लादकर ही पति को फोटो खिंचाने ले गई। जब विमला से ट्राइसाइकिल के लिए आवेदन किए जाने की बात पूछी गई तो उसने कहा कि मुझे जानकारी नहीं है कि आवेदन कैसे किया जाता है। वहीं कोई मददगार भी नहीं है। इसलिए उन्होंने अब तक कोई आवेदन नहीं किया। वे हर जगह पति को ऐसे ही पीठ पर लादकर ले जाती हैं। वहीं इस बारे में जब जिले के प्रभारी मंत्री भूपेन्द्र चौधरी से बात की गई तो उन्होंने इसे सभ्य समाज की दुखद तस्वीर बताकर बात खत्म कर दी।