script2019 का लोकसभा चुनाव जीतने को राजभर वोटों पर बीजेपी का सियासी दांव, इस नेता को दी बड़ी जिम्मेदारी | BJP make New strategy for Rajbhar vote in lok sabha election 2019 | Patrika News

2019 का लोकसभा चुनाव जीतने को राजभर वोटों पर बीजेपी का सियासी दांव, इस नेता को दी बड़ी जिम्मेदारी

locationमऊPublished: Dec 15, 2018 02:17:39 pm

Submitted by:

sarveshwari Mishra

ओमप्रकाश राजभर का विकल्प देकर वह पूर्वांचल में सुहेलदेव भासपा को भी दरकिनार करना चाहती है

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मऊ. यूपी के खासकर पूर्वांचल में राजभर मतों को लेकर भाजपा इन दिनों काफी परेशान दिख रही है। प्रदेश के 2017 के चुनाव में जिस प्रकार भाजपा ने राजभरों के मतों को साधने के लिए क्षेत्रीय दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर से गठबंधन कर सत्ता का स्वाद चखा था वह लोकसभा चुनाव में फिट बैठता नहीं दिख रहा है। इसका एक कारण ओमप्रकाश राजभर के भाजपा विरोधी बोल को भी माना जा रहा है। यही कारण है कि भाजपा राजभर मतों को अपने पक्ष में करने की जिम्मेदारी राज्यमंत्री अनिल राजभर को सौंपी है। भाजपा राजभर मतों का मन परिवर्तित कराने के लिए अनिल राजभर का न सिर्फ कद बढ़ा रही है बल्कि ओमप्रकाश राजभर का विकल्प देकर वह पूर्वांचल में सुहेलदेव भासपा को भी दरकिनार करना चाहती है। ऐसे में माना जा रहा है कि ओमप्रकाश राजभर को बीजेपी किसी भी सूरत में लोकसभा में स्वीकार करने के मूड में नहीं है। वह राजभर समीकरण को साधने के लिए गाजीपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों सुहेलदेव के नाम से डाक टिकट जारी कर राजभर वोटरों को संदेश देना चाहती है कि पार्टी उनके स्वाभिमान की लड़ाई खुद लड़ना चाहती है न कि ओमप्रकाश राजभर के भरोसे।

पूर्वांचल के कई जिलों में राजभर समाज की संख्या चुनाव के हार जीत के समीकरणों को प्रभावित करती है। खासकर मऊ, आजमगढ़, गाजीपुर, देवरिया, बलिया, गोरखपुर, बस्ती, चंदौली, बनारस के अधिकांश विधानसभा सीटों पर यह चुनाव को प्रभावित करते हैं। ओमप्रकाश राजभर से राजनीतिक रिश्तों में खटास के बाद बीजेपी महाराजा सुहेलदेव के नाम पर टिकट जारी कर अपना सियासी दांव खेल रही है। इसमें वह राज्यमंत्री को न सिर्फ मोहरे की तरह इस्तेमाल करना चाहती है बल्कि ओमप्रकाश राजजभर की खाली जगह को भरना भी चाहती है।

1981 में कांशीराम के साथ राजनीति की शुरुआत करने वाले ओम प्रकाश राजभर ने 2001 में बीएसपी नेता मायावती से विवाद के बाद पार्टी छोड़ कर नई पार्टी बनाई थी। उनकी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी 2004 से यूपी और बिहार में कई जगह चुनाव लड़ रही है लेकिन 2017 से पहले उसके उम्मीदवारों की भूमिका ‘खेल बिगाड़ने वालों’ के तौर पर ही रही, जीतने वालों के रूप में नहीं। जानकारों के मुताबिक 2017 में विधान सभा में बीजेपी की प्रचंड जीत के पीछे, ख़ासकर पूर्वांचल में, इस समुदाय और इस पार्टी की अहम भूमिका थी। यही नहीं, गोरखपुर उपचुनाव हारने के बाद ओम प्रकाश राजभर ने साफ़तौर पर कहा था कि उनकी अनदेखी की वजह से बीजेपी गोरखपुर की सीट हारी है। हालांकि इसके पीछे अन्य भी कई कारण रहे लेकिन ओमप्रकाश राजभर कैबिनेट मंत्री होते हुए लगातार सरकार में अपनी उपेछा का आरोप लगाते रहे हैं और बीजेपी के खिलाफ बोलने से वह कहीं भी परहेज नहीं करते हैं। इसी को देखते हुए बीजेपी आलाकमान ओम प्रकाश राजभर की जगह को भरकर राजभर मतों की नाराजगी को कम करके लोकसभा में कोई नुकसान नहीं उठाना चाहती, वहीं विरोधी दल महागठबंधन बनने की स्थिति में राजभर समुदाय और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को अपने खेमे में करने को आतुर हैं। बीजेपी के पिछड़ा मोर्चा के जिलाध्यक्ष रामप्रवेश राजभर कहते हैं कि राजभर समाज अब समझ चुका है कि उसका हित कहा है। राजनीतिक चेतना के बाद वह समाज के नाम पर वोटों का सौदा करने वालों को भी पहचान चुका है। कहा कि महाराजा सुहेलदेव के नाम पर ट्रेन चलाने से लेकर डाक टिकट जारी करने का काम बीजेपी की सरकार ने ही किया है। बताया कि पूर्वांचल के राजभरों का गाजीपुर में ऐतिहासिक सम्मेलन होने जा रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसमे मुख्य अतिथि होने। इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्यमंत्री अनिल राजभर को दी गई है वह पूरे पूर्वांचल में राजभरों को बीजेपी से जोड़ने और कार्यक्रम को सफल बनाने में लगे हैं। उधर पांच राज्यों में करारी हार के बाद बीजेपी लोकसभा चुनाव में कोई भी रिश्क नहीं लेना चाहती है। अब देखना है कि वह राजभर मतों को इस प्रयास से कितना खुश कर पाती है।
BY- Vijay Mishra

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