लगभग दो सप्ताह से जनता के बीच न होने के बावजूद भी आम मतदाताओं ने अतुल राय पर भरोसा जताया और महागठबंधन के प्रत्याशी को बटन दबाकर जीत दिलाई। जिला निर्वाचन अधिकारी एवं जिलाधिकारी ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी के निर्वाचन की घोषणा होते ही सपा-बसपा के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे से गले मिलकर बधाई दी।
भाजपा के हरिनारायण राजभर को छोड़ 13 प्रत्याशियों की जमानते जब्त हो गयी। बलिया जनपद के रसड़ा विधानसभा के घोसी लोकसभा में होने के कारण मऊ जनपद के चारों विधानसभाओं सदर, घोसी, मधुबन, मुहम्मदाबाद अनुसूचित की मतगणना हो जाने के बावजूद भी बलिया से परिणाम न आने के कारण घोषणा में थोड़ा विलम्ब हुआ।
कल्पनाथ राय के निधन के बाद यह पहला अवसर है जब भूमिहार जाति किसी प्रतिनिधि ने विजय पताका फहराई है। उनके निधन के बाद जो कोई भी संसदीय चुनाव में उतरा कल्पनाथ राय के विकास के रास्ते पर चलने की कसमे खाई लेकिन निर्वाचित न होने की वजह से मामला अधर में लटक गया। स्व.कल्पनाथ राय के बाद सन 1999 में बसपा के बालकृष्ण चौहन ने बाजी मारी थी जबकि सन 2004 में सपा के चन्द्रदेव प्रसाद राजभर ने बसपा के बालकृष्ण चौहान की रफ्तार रोककर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। लेकिन 2009 में फिर बसपा के दारा सिंह चौहान ने बाजी मारी और 2014 में मोदी लाहर में हरिनारायण राजभर भाजपा के टिकट सांसद निर्वाचित हुये। देश आजाद होने के बाद प्रथम सांसद के रूप में अलगू राय शास्त्री सन 1952 में कांग्रेस के बैनर तले पताका फहराई, उसके बाद जयबहादुर सिंह, झारखण्डे राय, शिवराम राय, राजकुमार राय ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
BY- VIJAY MISHRA