जानिए कौन है बालकृष्ण चौहान
पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान 1984 में बसपा में शामिल हुए । राजनीति में आने से पहले यह एक शिक्षक थे । शिक्षक पद से सेवानिवृत्त होने के 15 वर्ष पहले नौकरी छोड़ दिया । बसपा की सदस्यता लेते हुए 1984 जुड़ गए । प्रदेश की जातीय राजनीति की हवा में 1999 में बसपा से टिकट मिला गया और घोसी लोकसभा से सांसद बन बैठे । उसके बाद इस सीट पर सपा का बसपा का खेल चलता रहा लेकिन 2014 के मोदी लहर में बीजेपी ने पहली बार जीत हासिल कर । पूर्व सांसद को एक लंबे राजनीतिक जीवन के अनुभव के बाद भी राजनीतिक जमीन की तलाश में जुट गए थे ।
2014 में सपा में हुए थे शामिल
बसपा के पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान 2014 में सपा में शामिल हुए थे। सपा ने उन्हें अपने पार्टी से टिकट भी दिया था। लेकिन बाद में बालकृष्ण चौहान का टिकट काटकर राजीव राय को दे दिया। राजीव राय अखिलेश यादव के करीबी नेता माने जाते हैं।
2007 में बने थे उत्तर प्रदेश राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद के चेयरमैन
पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान वर्ष 2007 में बसपा सरकार में वह उत्तर प्रदेश राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद के चेयरमैन भी बनाये गए थे। कांग्रेस के कद्दावर नेता कल्पनाथ राय के निधन के बाद वर्ष 1999 में वह लोक सभा में बसपा से सांसद भी चुने गए थे। पार्टी में मतभेद के चलते उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।
2015 में किया था अपनी नई पार्टी का गठन
सपा बसपा बीजेपी को देखने और उपेक्षित होने के बाद पूर्व सांसद ने एक जुलाई को बीजेपी की सदस्यता को छोड़ दो जुलाई 2015 को अपनी नई पार्टी पिछड़ा वर्ग महापंचायत पार्टी का गठन किया और अपने को पिछड़ो का मशीहा बनाने लगे और एक बार चौहान वोटरों की रहनुमाई करने का मन बना लिया। लेकिन 2017 में एक बार फिर बालकृष्ण चौहान बसपा में शामिल हो गए। पूर्व सांसद बसपा के फाउंडर मेंबर्स में से एक थे । बसपा में लगभग तीन दशक तक राजनीति किये है फिर भी चारो तरफ से उपेक्षा ही मिली है हालांकि इनका काफी पुराना राजीनतिक जीवन है ।