तीन तीन केबिनेट मंत्रियों की कर्मभूमि है घोसी
देखा जाए तो इस समय घोसी लोकसभा सीट हॉट सीट हो गई है। चूंकि यह तीन तीन केबिनेट मंत्रियों की कर्मभूमि हो गई है इसलिए इन तीनों मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी इस सीट से जुड़ गई है। ओमप्रकाश राजभर, दारा सिंह चौहान और एके शर्मा इन तीनों दमदार मंत्रियों की प्रतिष्ठा यहां दांव पर है।
हालांकि सपा और बीएसपी ने अभी इस सीट पर अपने प्रत्याशी नहीं घोषित किए हैं परंतु कयास लगाए जा रहे कि इस बार लड़ाई कांटे की है।
पिछले उपचुनाव में स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा काफी हावी था। इस बार कौन सा मुद्दा हावी होता है ये तो सभी पार्टियों के प्रत्याशियों के घोषित होने के बाद ही पता चलेगा, परंतु एनडीए की डगर कठिन हो सकती है। बताया जा रहा कि एनडीए के प्रत्याशी से बीजेपी के कार्यकर्ता और सवर्ण वोट खासा नाराज है। सवर्णों को मानना है कि टिकट किसी सवर्ण को ही मिलना चाहिए था। वहीं चौहान संगठन के नेताओं की माने तो चौहान जाति के लोग दारा को हरवाने में ओमप्रकाश राजभर (om prakash rajbhar) की भूमिका देखते हैं। इसलिए ये मतदाता खासे नाराज हैं और अपना मत छड़ी पर देने से परहेज कर सकते हैं। जातियों के वोट का ऊंट किस करवट बैठेगा ये तो सभी पार्टियों के टिकट फाइनल होने के बाद ही पता चलेगा। परंतु इन तीनों केबिनेट मंत्रियों की साख जरूर दांव पर लग गई है।
देखा जाए तो इस समय घोसी लोकसभा सीट हॉट सीट हो गई है। चूंकि यह तीन तीन केबिनेट मंत्रियों की कर्मभूमि हो गई है इसलिए इन तीनों मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी इस सीट से जुड़ गई है। ओमप्रकाश राजभर, दारा सिंह चौहान और एके शर्मा इन तीनों दमदार मंत्रियों की प्रतिष्ठा यहां दांव पर है।
हालांकि सपा और बीएसपी ने अभी इस सीट पर अपने प्रत्याशी नहीं घोषित किए हैं परंतु कयास लगाए जा रहे कि इस बार लड़ाई कांटे की है।
पिछले उपचुनाव में स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा काफी हावी था। इस बार कौन सा मुद्दा हावी होता है ये तो सभी पार्टियों के प्रत्याशियों के घोषित होने के बाद ही पता चलेगा, परंतु एनडीए की डगर कठिन हो सकती है। बताया जा रहा कि एनडीए के प्रत्याशी से बीजेपी के कार्यकर्ता और सवर्ण वोट खासा नाराज है। सवर्णों को मानना है कि टिकट किसी सवर्ण को ही मिलना चाहिए था। वहीं चौहान संगठन के नेताओं की माने तो चौहान जाति के लोग दारा को हरवाने में ओमप्रकाश राजभर (om prakash rajbhar) की भूमिका देखते हैं। इसलिए ये मतदाता खासे नाराज हैं और अपना मत छड़ी पर देने से परहेज कर सकते हैं। जातियों के वोट का ऊंट किस करवट बैठेगा ये तो सभी पार्टियों के टिकट फाइनल होने के बाद ही पता चलेगा। परंतु इन तीनों केबिनेट मंत्रियों की साख जरूर दांव पर लग गई है।
घोसी नवनिर्माण मंच ने उड़ाई राजनीतिक पार्टियों की नींद
भाजपा, बसपा और सपा चुनावी समीकरण सुलझाने में जुटे है लेकिन इस बीच घोसी नवनिर्माण मंच की सक्रियता ने सभी राजनीतिक दलों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। स्थानीय बनाम बाहरी की मांग से सभी राजनीतिक पार्टियां असमंजस की स्थिति में आ गई हैं। देखना है कि इन राजनीतिक पार्टियों का आखिरी दांव क्या होता है?
भाजपा, बसपा और सपा चुनावी समीकरण सुलझाने में जुटे है लेकिन इस बीच घोसी नवनिर्माण मंच की सक्रियता ने सभी राजनीतिक दलों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। स्थानीय बनाम बाहरी की मांग से सभी राजनीतिक पार्टियां असमंजस की स्थिति में आ गई हैं। देखना है कि इन राजनीतिक पार्टियों का आखिरी दांव क्या होता है?
रिपोर्ट- अभिषेक सिंह मऊ