दरअसल, बालकृष्ण चौहान खुद घोषी से चुनाव लडऩा चाहते थे। लेकिन बसपा ने मुख्तार अंसारी के समर्थक माने जाने वाले अतुल राय को प्रभारी बना दिया। बसपा में जिसे प्रभारी बनाया जाता है, टिकट उसका पक्का माना जाता है। ऐसे में बालकृष्ण और उनके समर्थक इसका विरोध करने लगे और बाहरी भगायो जनपद बचाओ का नारा लगाते हुए प्रदर्शन किया। इसकी जानकारी जैसे ही बसपा प्रमुख को लगी, उन्होंने पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान समेत पांच बसपा नेताओ को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
लगाए गंभीर आरोप पूर्व सांसद ने बसपा सुप्रीमो पर जमकर आरोप लगाया, कहा कि मायावती को मिलने के लिए शुल्क देना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हम तो पार्टी के काडर से जुड़े हुए नेता हैं, जिसने पार्टी को खड़ा करने के लिए नौकरी से 12 वर्ष पहले ही वीआरएस लेकर संगठन के लिए कार्य किया। कबा कि इस समय धनबल की चल रही है। चुनाव में अगर बाहरी प्रत्याशी आता है तो निश्चित है कि सपा और बसपा के जो परंपरिक वोट बैंक हैं वह उससे कट जाएंगे।
कौन हैं बालकृष्ण
बालकृष्ण चौहान बसपा के फाउंडर मेम्बर थे। पार्टी को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए कड़ी मशक्कत की। बसपा के टिकट पर 1999 में घोसी लोकसभा से चुनाव जीत संसद तक का सफर तय किया।
बालकृष्ण चौहान बसपा के फाउंडर मेम्बर थे। पार्टी को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए कड़ी मशक्कत की। बसपा के टिकट पर 1999 में घोसी लोकसभा से चुनाव जीत संसद तक का सफर तय किया।