इस सीट पर बाहुबली मुख्तार अंसारी का अपना सिक्का चलता है, तो यह कयास लगाये जा रहे हैं कि बसपा की तरफ अंसारी बंधुओं का भी चेहरा हो सकता है। टिकट की दावेदारी ठोकने वाले नेता मुख्तार अंसारी को बड़े प्रतिद्वंदी के रूप में मानते हैं। क्योंकि घोसी लोकसभा सीट में 5 विधानसभा में शामिल है, चार विधानसभा मऊ जनपद की है और एक विधान सभा बलिया जनपद की है। मऊ जनपद की 4 विधानसभा सीटों में सदर विधानसभा, घोसी विधानसभा, मोहम्मदाबाद गोहना विधानसभा और मधुबन विधानसभा शामिल है, तो वहीं बलिया जिले की रसड़ा विधानसभा भी घोसी लोकसभा सीट में शामिल है। पिछले पांच बार के विधानसभा चुनावों में सदर विधानसभा से मुख्तार अंसारी काबिज हैं।
2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी की लहर में पूरे प्रदेश में बीजेपी को 325 विधायकों का बड़ा बहुमत हासिल हुआ था,.लेकिन मुख्तार अंसारी की वजह से सबसे चर्चित इस सीट पर बीजेपी की सारी लहर फेल हो गई। हालांकि बीजेपी प्रत्याशी को जिताने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी चुनावी रैली जनपद में आयोजित हुआ, लेकिन उनका भी जादू यहां की जनता पर नहीं चला।
घोसी लोकसभा सीट से राजनीतिक दलों के जिन नेताओं को टिकट की दावेदारी की चर्चा है उसमें बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष सुनील गुप्ता के साथ साथ कई छोटे बड़े नेता भी टिकट की दावेदारी में शामिल है। वहीं अगर 2019 के चुनाव से पहले महागठबंधन होता है तो इस लोकसभा सीट पर सपा बसपा की तरफ से संयुक्त प्रत्याशी के रूप में कई बड़े चेहरे हैं, जिसमें समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता व पूर्व प्रत्याशी राजीव राय का नाम भी सामने आ रहा है।
कुछ दिन पहले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भी जनपद में हुए कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान मीडिया का सवालों का जवाब देते हुए भी इस बात का संकेत किए थे कि अगर बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में साथ रहती है तो वह बीजेपी का साथ देंगे अगर बीजेपी साथ नहीं देगी तो उनकी पार्टी भी प्रमुखता के साथ 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी को प्रस्तुत करेगा।
समाजवादी पार्टी से अलग होकर के शिवपाल यादव की नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी अपने दम पर चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हैं। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नेता जनपद के बड़राव ब्लॉक के पूर्व ब्लॉक प्रमुख विद्युत प्रकाश यादव भी घोसी लोकसभा सीट पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की तरफ से अपनी दावेदारी कर रहे हैं।
टिकट की दावेदारी कर रहे नेता जीत के लिए अपने अपने समीकरण तैयार कर रहे हैं। गठबंधन की तरफ से बनने वाले प्रत्याशी जातियों के गठबंधन को जोड़कर अपनी जीत का फार्मूला तैयार कर रहे हैं, तो वहीं बीजेपी की तरफ से टिकट की दावेदारी करने वाले नेता विकास कार्यों को अपनी जीत का फार्मूला बता रहे हैं, फिलहाल 2019 का लोकसभा चुनाव बेहद ही इस सीट पर दिलचस्प होना तय माना जा रहा है।