बतादें कि 2017 में घोसी सदर सीट पर फागू चौहान ने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता था। अभी कुछ दिन पहले ही फागू चौहान को बिहार का राज्याल बनाये जाने के बाद इस रिक्त सीट पर उपचुनाव हो रहा है। इस सीट पर भाजपा ने विजय कुमार राजभर को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं बसपा ने यहां से कय्यूम अंसारी को मैदान में उतारा है। लेकिन अभी तक की लड़ाई जो दिख रही है। उसमें निर्दल उम्मीदवार सुधाकर सिंह सबको कड़ी टक्कर दे रहे हैं। जिससे दोनों प्रमुख दल फंसते दिख रहे है।
सुधाकर को सपा का साथ बतादें कि इस उपचुनाव में सपा ने सुधाकर सिंह को पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ाने भेजा था। लेकिन कागजात में किसी कमी के कारण सपा से दाखिल पर्चे को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया। जिसके बाद सुधारकर के दूसरे पर्चे की जांच की गई तो वो वैध रहा। आखिरकार सुधाकर को निर्दल मैदान में आना पड़ा। अब सुधाकर को जिताने के लिए सपा भी पूरी ताकत लगा रही है। सपा का मूल वोटर भी सुधाकर के साथ मजबूती से खड़ा दिख रहा है।
कौन हैं सुधाकर सिंह सुधाकर सिंह घोसी विधानसभा सीट से दो बार 1996 औऱ 2002 में विधायक रहे हैं। जिस कारण क्षेत्र में इनकी काफी पकड़ मानी जाती है। इतना नहीं इनके बेटे सुजीत सिंह भी सपा की राजनीति करते हैं और मौजूदा समय मे घोसी ब्लाक के प्रमुख भी हैं। सपा के मूल वोटों के साथ क ही सवर्ण विरादरी भी सुधाकर के साथ जाती दिख रही है। जिस वजह से दोनों प्रमुख दलों के लिए राह आसान नहीं दिख रही है। अभी तक मुकाबला सभी प्रत्याशियों के लिए काफी कठिन बताया जा रहा है। लेकिन सुधाकर को कम में आंकना दोनों दलों के लिए बड़ी भूल हो सकती है।
क्यूं मुकाबला हुआ दिलचस्प बतादे कि सुधाकर सिंह पहले दो बार विधायक रह चुके हैं। साथ ही इनके बेटे सुजीत से भी लोगों का कामकाज को लेकर काफी जुड़ाव है। सपा के मूलवोट के साथही सवर्ण वोटरों की भूमिका इनके लिए खास मानी जा रही है। वहीं भाजपा उम्मीदवार विजय राजभर के साथ से पार्टी का बेस वोट कम उत्साहित नजर आ रहा है तो बसपा प्रत्याशी के साथ भी एक बसपा के मूल वोट के साथ एक मुस्लिम मतदाताओं का रूझान दिख रहा है। वहीं सपा का साथ मिलने के साथ ही सुधाकर के पक्ष में भी मुस्लिम जाते दिख रहे हैं। हालांकि चुनाव किस ओर करवट बदलेगा ये कहना आसना नहीं है। पर यहां हर उम्मीदवार जमकर टक्कर देता दिख रहा है।