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International Women’s Day डॉ. अल्का राय को सलाम, करोड़ों रुपये की कमाई छोड़कर कर रहीं महिलाओं की मदद

locationमऊPublished: Mar 08, 2019 10:30:51 am

दिल्ली की लाइफ स्टाइल छोड़कर छोटे शहर में बनी हैं महिलाओं की मददगार।

 Dr Alka Rai

डॉ. अल्का राय

मऊ. समाजसेवा करना या समाज सुधारक बनना जब इन दिनों फैशन और स्टेटस सिंबल बनाने के लिये खूब इस्तेमाल किया जा रहा है, सेवा के इस संक्रमण काल में ऐसे भी लोग हैं जो जरूरतमंदों की मदद अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर खुद की संतुष्टि के लिये करते हैं। मऊ की डॉ. अल्का राय से जब आप मिलेंगे और उनके बारे में जानेंगे तो खुद ब खुद इस बात का एहसास होगा कि अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर इनका नाम न लेना इनके साथ नाइंसाफी करना होगा। मेट्रो सिटी की हाई प्रोफाइल लाइफ स्टाइल को छोड़कर एक छोटे से शहर में आकर वो जो कर रही हैं वो कोई छोटी या नजरअंदाज कर आगे बढ़ने जैसी बात नहीं। बड़ी ही खामोशी से महिलाओं के लिये खासतौर से उन महिलाओं के लिये जो मां बनती हैं और उन्हें बेटा या बेटी पैदा होती है, उनकी न सिर्फ सहायता करती हैं, बल्कि समाज में उनके हिस्से का सरमाया हासिल करने में मदद करती हैं।
Dr Alka Rai
 

बच्चों के पैदा होने से पढ़ाई तक करती हैं मदद

डॉ. अल्का राय यूं तो डॉक्टर हैं पर तब तक जब तक महिला का प्रसव नहीं करा लेतीं। उसके बाद वह उस मां की दोस्त और गुरू सब कुछ हो जाती हैं। महिला और बच्चे अस्पताल से विदा करते समय मिठाई का डिब्बा देने के साथ ही पांच-पांच सागौन के पौधे देती हैं जो पर्यावरण संरक्षण के लिये महिलाओं को दी हुई उनकी पहली सीख होती है। मां शायद भूल भी जाएं पर वह नहीं भूलतीं कि कब किस महिला के बच्चे को कौन सा टीका लगाना है और किसका कौन सा टीका रह गया है। खुद फोन कर याद दिलाती हैं। बच्चे की देखभाल कैसे हो रही है कोई कमी तो नहीं, फोन कर इसका पूरा खयाल रखती हैं। इतना ही नहीं बच्चों की पढ़ाई पूरा होने तक उन्हें स्कॉलरशिप और स्कूल आने-जाने तक साइकिल का इंतजाम करती हैं। इसके लिये कोई पैसे नहीं लेतीं।
Dr Alka Rai
 

मांओं को सिखाती हैं कैसे लें अपने हिस्से का हक

डॉ. अल्का राय महिलाओं की उस समय मदद करती हैं, जब उन्हें इसकी सख्त जरूरत होती है, यानि मां बनने के बाद। जो बच्चा पैदा हुआ है उसे इस दुनिया में उसके हिस्से का हक और बेहतर जिंदगी मिले इसमें वह मांओं की मदद करती हैं। मां बनते ही महिला किन सरकारी योजनाओं की हकदार हो जाती है यह बात डॉक्टर साहब न सिर्फ बताती हैं बल्कि खुद साथ लगकर उन्हें ये मदद दिलवाती हैं। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, गोद भराई और कन्या पूजन जैसी कितनी ही योजनाएं हैं जो सरकार चलाती है उनके लिये, लेकिन जानकारी के अभाव में कितनी ही महिलाएं इनसे महरूम रहती हैं।
सैनिक स्कूल से की पढ़ाई, गोल्ड मेडल पाकर बनीं डॉक्टर

1964 में जन्मीं डॉ. अल्का राय की पढ़ाई धौलाकुआं नई दिल्ली के उच्च माध्यमिक आर्मी पब्लिक स्कूल से हुई। 1981 में उन्होंने एमबीबीएस में गोल्ड मेडल हासिल किया। 1993 में नई दिलली के एक निजी नर्सिंग होम से अपना कैरियर शुरू किया। पिता और पति दोनों ही फौज में हैं। बड़े शहर में पली-बढ़ी डॉ. अल्का राय जल्दी ही मेट्रो सिटी की भागदौड़ भरी लाइफ स्टाइल से ऊब गयीं और उन्होंने छोटे शहर या गांव में जाकर अपने पेशे के साथ ही महिलाओं की मदद का फैसला लिया। इसके बाद वह मऊ आ गयीं और यहीं से उन्होंने लोगों के बीच अपनी मददगार की छवि गढ़नी शुरू की जो अब एक सेवाभाव और सबकी महिलाओं की मदद के लिये हरदम तैयार खड़ी महिला के रूप में मशहूर है।
By Vijay Mishra

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