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बता दें कि संस्कृत पाठशाला स्थित तीन सीढ़ियों पर ताजिया चढने की वर्षों पुरानी परम्परा है। इस परम्परा के अनुसार जब ताजिया का जुलूस संस्कृत पाठशाला के पास पहुंचता है, तो उसे पाठशाला भवन की तीन सीढ़ियों पर चढ़ाकर उतारा जाता है। इसी वजह से यह स्थान काफी संवेदनशील हैं। यहां पर भारी संख्या में पुलिस बल, पीएससी और आरएएफ के जवानों की निगरानी में ताजियों को सीढ़ियों पर चढ़ाकर उतारा जाता है। वहीं दूसरे समुदाय के लोगों की भी निगाहें इसी पर बनी रहती है, अगर गलती से भी चार बार हो गया तो मामला बिगड़ने की स्थिति में आ जाता है। अगर दो बार ही सीढ़ियां चढ़ी जाती है, तो भी मामला खराब हो सकता है। इसलिए प्रशासन पूरी मुश्तैदी के साथ इस परम्परा को सफल करने का हर वर्ष प्रयास करता है।
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