2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर अफजाल अंसारी महज सात हजार वोटों से हारे थे।
फागू सिंह चौहान के राज्यपाल बन जाने के बाद घोसी विधानसभा सीट पर होना है उपचुनाव।
मुख्तार अंसारी अब्बास अंसारी
मऊ. फागू चौहान के राज्यपाल बनाए जाने के बाद खाली हुई घोसी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है। सीट भाजपा के कब्जे में थी सो बीजेपी इसके लिये अपनी रणनीति पर काम कर रही है, लेकिन तैयारी बसपा की भी कम नहीं, जो 2017 के विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रही। यहां से बसपा के टिकट पर बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी महज आठ हजार वोटों से हारे थे। उपचुनाव में अब्बास अंसारी बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे या नहीं इसको लेकर संशय है। इसे लेकर सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चल रही तरह-तरह की चर्चाओं के बीच सांसद अफजाल अंसारी सामने आए हैं और उन्होंने अब्बास अंसारी के उपचुनाव लड़ने के बारे में लेकर खुलासा किया है।
अटकलों के बीच पत्रिका ने पहले अब्बास अंसारी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे सम्पर्क नहं हो पाया। इस बारे में उनके चाचा सांसद अफजाल अंसारी ने इन अटकलों को विराम देते हुए कहा है कि अभी बसपा सुप्रीमो मायावती की ओर से इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अब्बास अंसारी को घोसी विधानसभा उपचुनाव लड़ना है या नहीं लड़ना है ये फैसला हमें नहीं, बल्कि बसपा सुप्रीमो बहन मायावती जी को लेना है। अगर कहा जाएगा तो अब्बास जरूर लड़ेंगे, लेकिन अगर बहनजी किसी और को टिकट देंगी तो हम पार्टी के सच्चे सिपाही की तरह उसे जिताने का काम करेंगे। उन्होंने दावा किया कि हम टिकट पाने की होड़ में नहीं हैं।
2017 के विधानसभा चुनाव में सात हजार वोटों से जीते थे फगू चौहान IMAGE CREDIT: बताते चलें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में घोसी विधानसभा सीट पर भाजपा ने फागू चौहान (वर्तमान राज्यपाल) को टिकट दिया, जबकि बसपा ने उनके खिलाफ बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे और नेशनल शूटर अब्बास अंसारी को मैदान में उतारा। समाजवादी पार्टी की ओर से सुधाकर ने ताल ठोकी। बसपा और भाजपा का कड़ा मुकाबला हुआ और अब्बास अंसारी महज 7003 वोटों से हार गए। फागू चौहान को जहां 88 हजार 298 वोट मिले वहीं अब्बास अंसारी 81 हजार 295 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे। अब फागू चौहान के राज्यपाल बनने के बाद सीट पर उपचुनाव है और लोकसभा चुनाव के बद सपा-बसपा का गठबंधन भी टूट चुका है। ऐसे में तीनों अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे। इस सीट पर बसपा अकेले दूसरे नंबर पर रही थी, इसलिये सबकी नजरें उसी पर हैं कि वहां से बहनजी किसे मैदान में उतारती हैं।