दरअसल, जिले में शहर से लेकर गांव तक भू- माफियाओं ने सरकारी, गैरसरकारी भूमि पर कब्जा कर रखा है। जिले में लगभग 305 भू-माफिया चिन्हित किए जा गए हैं। जिनमें 16 लोगों पर ही कार्रवाई की जा सकी है और अन्य के खिलाफ जांच-पड़ताल जारी है।
प्रदेश सरकार ने सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जा करने वाले के साथ ही शहर से लेकर गांव तक सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों के विरुद्ध कार्ऱवाई करने के लिए कदम उठाया है। साथ ही निजी भूमि पर किसी व्यक्ति विशेष या दबंग व्यक्ति द्वारा कब्जा करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया था। इसके बावजूद भी एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स फ्लाप ही साबित हुई हैं।
बतादें कि सार्वजनिक भूमि और तालाबों की भूमि पर अवैध कब्जे को लेकर समाजसेवी छोटे लाल गांधी सहित कई समाजसेवी संगठनों ने जिला मुख्यालय पर अनिश्चित कालिन धरना प्रदर्शन शुरु किया हैं। सामजसेवी की माने तो जल संचयन हेतू सार्वजनिक तालाबों से अवैध कब्जा हटाने के लिए न्यायालय ने आदेश दिया हैं, और प्रदेश सरकार ने सार्वजनिक भूमि से भू माफियाओं का अवैध कब्जा हटाने के एंटी भू माफिया टास्क फोर्स का गठन किया हैं। इसके बावजूद भी भू माफियों पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही प्रशासनिक अधिकारी नहीं करते हैं। केवल कागजी खानापूर्ति कर शासन के आदेशों को पलिता लगा रहे हैं। फिलहाल समाजसेवी का धरना प्रदर्शन अवैध कब्जे को लेकर अनिश्चित कालिन हैं।
एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स गठित होने के बाद भी भू माफिया अपने मंसूबे में कामयाब हो कर सार्वजिन भूमि और तालाबों पर अवैध कब्जा जमाये हुए हैं। डीएम की माने तो शासन की मंशा के अनुसार एंटी भू माफिया टास्क फोर्स काम कर रही हैं। भू माफियाओं को चिन्हित कर कार्रवाई की जा रही हैं। वहीं समाजसेवी के आंदोलन पर डीएम ने कहा कि समाजसेवी हर कहीं पर गुहार लगाता हैं, लेकिन मेरे पास नहीं आता हैं। खैर कुल मिला कर शासन और न्यायालय के लाखों आदेशों के बावजूद भी जिले में भू माफिया सक्रिया हैं। सार्वजनिक भूमि, तालाबों और गरीबों की भूमि पर भू माफिया अवैध कब्जा कर निर्माण कर अपने मंसूबे में सफल हो रही हैं।
इनपुट- मऊ से विजय मिश्रा की रिपोर्ट