राज्य सूचना आयुक्त पारसनाथ गुप्ता ने मऊ जनपद के सभी ग्राम पंचायत अधिकारियों ग्राम विकास अधिकारियों एडीओ पंचायत एवं खंड विकास अधिकारियों के साथ में जिलाधिकारी कार्यालय के कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक कर जनपद में आरटीआई के तहत मांगी गई सूचनाओं की समीक्षा किया समीक्षा करते हुए शासन के महत्वपूर्ण बिंदुओं को इसकी जानकारी सूचना के अधिकार नियम के तहत अधिकारियों को दिया शिकायतकर्ता द्वारा मांगी गई सूचना को 30 दिन के अंदर हर हाल में देनी होती है जिसमें सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत मांगी गई सूचना में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं करने का जनपद स्तरीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
आयुक्त ने मुख्य सचिव के शासनादेश को कड़ाई के साथ पालन करने के भी निर्देश दिए हैं ।आयुक्त ने बताया कि सबसे ज्यादा शिकायतें ग्राम पंचायतों की आती है उन शिकायतों का गुणवत्ता पूर्ण ढंग से निस्तारण करने के निर्देश जन सूचना अधिकारियों को दिए गए हैं। जिले के सभी अधिकारियों को अपने अभिलेखों का रखरखाव सही ढंग से करने के निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि किसी अधिकारी कर्मचारी के स्थानांतरण हो जाने पर चार्ज लेने व देने में किसी भी प्रकार की समस्या ना हो जिलाधिकारी ने जानकारी दी कि ग्राम स्तर की सारी सूचनाएं ऑनलाइन हो गई हैं।
शिकायत करने पर भी नहीं मिलती हैं सूचनाएं
जिले में सबसे ज्यादा सूचनाएं ग्राम पंचायत स्तर पर विकास कार्यों के बाबत मांगी जाती है। आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र गोयल की मानें तो जिले में हुए विकास कार्यो के बाबत सूचनाएं मांगे जाने पर अधिकारी सूचनाए नहीं देते है जिससे अधिकरियो कि कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगता है। उन्होंने बताया कि उनकी ओर से मांगी गई कई सूचनाओं का आज तक कोई जवाब नहीं दिया गया। शिकायत राज्य सूचना आयुक्त कार्यालय तक की गई वहां से निर्देश भी आया, बावजूद इसके अब तक जानकारियों नहीं मुहैया करायी गयीं।
वह भी तब जककि सूचना अधिकर अधिनियम के तहत यह कानून है कि कोई अगर मांगी गई सूचना में देने की 30 दिन से ज्यादा समय लगता है तो 25 हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान है। पर इस संदर्भ में न तो राज्य सूचना आयुक्त की तरफ से कुछ होता है और न ही जनपद के अधिकरी सूचना देते है। कहा कि इस तरह की मीटिंग का कोई फायदा नहीं होने वाला।
By Vijsy Mishra
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