विवाद इस कदर बढ़ गया कि दोनों के परिवारों ने कई बार बीच बचाव तक किया। लेकिन बात नहीं बनी। 21 फरवरी 2018 की रात को नूर हसन और गुल मुहम्मद ने पुतुल से झगड़ा किया। इतना ही नहीं उसकी इस कदर पिटाई कर दी की। थोड़ी देर के बाद ही पुतुल की मौत हो गई।
सूचना के बाद गाजीपुर जिले से पुतुल के परिजन पहुंचे। इन्होने परिजनों पर हत्या का आरोप लगाया। तहरीर के बाद पुलिस ने नूर हसन और गुल मुहम्मद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। कोर्ट में अभियोजन की ओर से पैरवी करते हुए एडीजीसी फौजदारी अजय कुमार सिहं ने कुल सात गवाहों को पेश कर अपना पक्ष रखा। बचाव पक्ष से कहा गया कि उन्हे झूठा फंसाया गया।
एडीजे ने दोनों पक्षों के तर्को को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद नूर हसन और गुल मुहम्मद को गैर इरादतन हत्या का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा के साथ ही 30-30 हजार रुपया अर्थदंड का निर्णय सुनाया।