मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्याम नरायन दुबे ने बताया कि विटामिन-ए एक ऐसा जरूरी विटामिन है जो शरीर खुद नहीं बना सकता है। इसलिए आहार में विटामिन-ए युक्त चीजों को शामिल करना जरूरी है। ये माइक्रोन्यूट्रिएंट बच्चों के विकास में मदद करता है। इससे दांत, हड्डियां और नरम ऊतकों को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। आंखों को ठीक तरह से कार्य करने में मदद करता है।
उन्होंने बताया कि इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी हैं जो इम्यून सिस्टम को स्वस्थ बनाए रखते हैं। दिल, फेफड़ों, किडनी और अन्य अंगों के कार्य में विटामिन-ए मददगार है। हर बच्चे को विशेष मात्रा में विटामिन-ए की आवश्यकता होती है। बच्चों में संतुलित आहार की कमी या लीवर से जुड़े विकारों के कारण विटामिन-ए की कमी हो सकती है। शरीर में विटामिन कम होने पर हल्की थकान, रूखी त्वचा, रैशेज, रूखे बाल, बाल झड़ने, बार-बार इंफेक्शन होना, एनीमिया, धीमा विकास होना, गले और छाती में इंफेक्शन, घाव न भरने जैसे संकेत मिलते हैं।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. बीके यादव ने बताया कि जिले के दूर दराज गावों, मलिन बस्तियों के अभाव ग्रस्त बच्चों में विटामिन-ए की कमी को पूरा करने के लिये, प्रदेश सरकार के निर्देश पर बाल स्वास्थ्य पोषण माह 28 जुलाई से लेकर आगामी 28 अगस्त तक चलाया जा रहा है। इसमें नौ माह से पांच वर्ष तक के सभी बच्चों को प्रत्येक सप्ताह में निर्धारित दो दिनों बुधवार तथा शनिवार को जिले के 225 बूथों विटामिन ए पिलाई जा रही है। अभियान के दौरान लगभग 2,84,165 बच्चों को विटामिन-ए की खुराक पिलाये जाने का लक्ष्य रखा गया है। डिस्ट्रिक कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर डीसीपीएम संतोष कुमार सिंह ने बताया कि लक्ष्य के सापेक्ष 70 प्रतिशत बच्चों को विटामिन-ए की खुराक पिलाई जा चुकी है।