मेरठ

इस समाज ने देवी को प्रसन्न करने के लिए बलि प्रथा पर लगाया विराम और किया ये काम, देखें वीडियो

Highlights

मेरठ सर्राफा बाजार में बंगाली देते थे देवी को बलि
बलि प्रथा खत्म कर 101 श्रद्धालुओं ने किया रक्तदान
हिन्दुओं के साथ मुस्लिमों ने भी कार्यक्रम में किया सहयोग

मेरठOct 08, 2019 / 06:50 pm

sanjay sharma

मेरठ। सोना और चांदी का जेवर बनाने के बड़े केंद्रों में से एक मेरठ है। यहां जेवर बनाने का काम पश्चिम बंगाल से आए कारीगर करते हैं। ये कारीगर नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की पूजा करते हैं और महानवमी के दिन प्रात: काल महिसा सुरमंदनी का आह्वान करते हुए धुनुची आरती एवं महिलाओं द्वारा नृत्य-संगीत प्रस्तुति किए जाते हैं। इसके बाद बलि दी जाती है। बलि की विधि और उसको गुप्त रखा जाता है। इसके बाद हवन पूजन, कन्या पूजन आदि कर भंडारे का आयोजन जाता है।
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इस बार नील की गली में बंगाली कारीगरों के परिवारों ने अनोखा काम किया। इस बार कारीगरों ने बलि प्रथा को हमेशा के लिए खत्म कर दिया और मां के 101 श्रद्धालुओं ने रक्तदान किया। नील गली एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. संजीव अग्रवाल ने बताया कि वर्षों से चली आ रही बलि प्रथा जो कि महिसुरमंदनी को प्रसन्न करने को दी जाती थी। उसको खत्म करते हुए इस वर्ष ब्लड कैंप का आयोजन करवाया गया। जिसमें 101 श्रद्धालुओं ने देवी को प्रसन्न करने के लिए रक्तदान किया।
देवी को बलि के रूप के मानवरक्त रक्तदान कर अर्पित किया। आशुतोष अग्रवाल ने कहा कि अब से हम आगे भी हमेशा ही रक्तदान करेंगे, क्योंकि बलि प्रथा व्यर्थ है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उपायुक्त उद्योग वीरेंद्र कौशल, चीफ मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रवीण बंसल रहे। देवी पूजन एवं रक्तदान शिविर में हिंदू, मुस्लिम सभी समुदाय के लोगों ने सहयोग दिया।
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