दरअसल, एक बैठक का आयोजन कर आम आदमी पार्टी के जिला महासचिव ने कहा कि स्मार्ट मीटर में हुई गड़बड़ी के सभी आंकड़े सरकार के पास होने के बावजूद कोई कार्रवाई नही की जा रही है। तरह-तरह के प्रक्रियाओं का बहाना कर उपभोक्ताओं को उनके मुद्दों से भटकाने का काम किया जा रहा है। बिजली विभाग के मुताबिक उपभोक्ताओं को बिजली विभाग में शिकायत करना होगा, बिजली विभाग इसके बाद शिकायतकर्ता के घर में चेक मीटर लगाएंगे। चेक मीटर और स्मार्ट मीटर के डाटा में कोई फर्क नजर आने पर 15 दिनों के अंदर उपभोक्ताओं को 1912 पर कॉल करें। इसके बाद बिजली विभाग उपभोक्ता की समस्या का समाधान करने के लिए कदम उठाएगी।
उन्होंने कहा इस दावे पर का सच कुछ और ही है। प्रदेश में लगभग 12 लाख उपभोक्ताओं का बिजली बिल 30% से लेकर 100% तक बढ़ कर आता है। 1 मीटर में यदि 500—600 तक बिजली बिल पढ़कर आ रहा है तो लगभग 12 लाख मीटरों पर प्रतिमाह बिजली विभाग 60 करोड़ रुपए चोरी कर रहा है। उन्होंने कहा उपभोक्ताओं की समस्या का समाधान करने के बजाय उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री जनता के घर मीडिया को साथ लेकर उनसे पैसे वसूलने जाते है।
61 प्रतिशत उपभोक्ता कर रहे अधिक बिल आने की शिकायत :— बिजली विभाग ने उपभोक्ताओं की शिकायतों को फर्जी करार देते हुए एक कॉल सेंटर लगाया था लेकिन उस काल सेंटर में पहले ही दिन 2230 उपभोक्ताओं ने काल शिकायत दर्ज कराया। पहले दिन के आंकड़ों की मानें तो 61% उपभोक्ताओं ने अधिक बिल आने की बात कही है 38% उपभोक्ताओं ने सही बिल आने की बात की है। कुछ और उपभोक्ताओं ने कहा कि वह स्मार्ट मीटर से संतुष्ट है।
महासचिव ने कहा कि हमारा दावा है कि अगर घर घर जाकर मीटर चेक किया जाए तो 99% उपभोक्ता कहेगा कि पहले बिल से ज्यादा बढ़कर बिल आ रहा है। अभिषेक द्विवेदी का आरोप है कि उत्तर प्रदेश के बिजली मीटर हत्यारे है। प्रदेश सरकार इस मीटर के जरिए उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डालने का काम तो कर ही रही है बल्कि इसके जरिए उपभोक्ताओं की हत्या करने का काम कर रही है।