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इसलिए हटार्इ गर्इ आंबेडकर की प्रतिमा
एनएचएआई की जमीन पर बौद्ध स्तूप स्थापित था।जिसके कारण हाईवे की सड़क भी इस जगह पर आकर काफी तंग हो जाती है।इसके चलते यहां आए दिन सड़क हादसे हो रहे थे।जिसके बाद एनएचएआई ने इस जगह पर सड़क चौड़ीकरण का कार्य शुरू कराने के लिए नक्शा तैयार किया।इसी कड़ी में एनएचएआई ने बौद्ध स्तूप के संचालकों से बातचीत कर मुआवजे के रूप में उनको करीब 13 लाख 50 हजार रुपए उनके खाते में ट्रांसफर कर दिए थे।
रुपये लेकर भी नहीं हटा रहे थे बौद्ध स्तूप
आरोप है कि मुअावजे के 13 लाख 50 हजार रुपए देने के बावजूद संचालक बौद्ध स्तूप को नहीं हटा रहे थे।हर बार संचालकों की तरफ से एनएचएआई और पुलिस-प्रशासन के अफसरों को समय दिया जा रहा था।सोमवार को एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्रीधर नारायण के नेतृत्व में एनएचएआई की टीम पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंची।मगर उससे पहले ही बौद्ध स्तूप संचालक वहां से जा चुके थे। कई बार फोन पर बातचीत कर उनको बुलाने के लिए कहा गया, मगर वह नहीं आए।वहीं मौके पर दलित समाज के सैकड़ों लोग हाथ में लाठी-डंडे लेकर मौके पर पहुंच गए और बौद्ध स्तूप के ध्वस्तीकरण का विरोध किया। इसके बाद वीडियो ग्राफी कराते हुए एनएचआई की टीम ने बौद्ध स्तूप परिसर को ध्वस्त किया।साथ ही वहां लगी बाबा भीमराव अांबेडकर की प्रतिमा को उतारकर ट्रॉली में रखवा दिया।
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नोटिस जारी करने के बाद भी नहीं हटा रहे थे प्रतिमा
प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्रीधर नारायण का कहना है कि करीब साढ़े 13 लाख 50 हजार रुपये बौद्ध स्तूप संचालकों को मुआवजा के रूप में दिए जा चुके हैं। उसके बावजूद वो कब्जा नहीं छोड़ रहे थे। कई बार नोटिस भी दिया गया। कार्यवाही के बारे में भी बौद्ध स्तूप संचालकों को नोटिस के अलावा फोन पर भी जानकारी दी गई थी। वीडियोग्राफी के साथ धवस्तीकरण की कार्रवाई की गई है। प्रशासन ने शासन के निर्देश पर सोमवार को दिल्ली-हरिद्वार हाइवे (एनएच-58) पर स्थित बौद्ध स्पूत को ध्वस्त कर दिया। यही नहीं आंबेडकर की मूर्ति को भी हटा दिया। इससे दलित समाज के लोगों में भारी आक्रोश फैल गया।