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भाजपा के गढ़ में ओवैसी की दस्तक, निकाय चुनाव में पार्टी ने खोला खाता

locationमेरठPublished: Dec 01, 2017 05:44:48 pm

Submitted by:

Ashutosh Pathak

यूपी निकाय चुनाव के जरिए ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भाजपा के गढ़ में दस्तक दे दी है।

AIMIM party won one seat in BJP bastion
मेरठ। पश्चिम उत्तर प्रदेश और मेरठ को भाजपा का गढ माना जाता है। लेकिन, भाजपा के इस गढ में असदुद्दीन ओवैसी ने नगर निकाय चुनाव के जरिए अपनी धमक दर्ज करा दी है। इसकी शुरुआत भले ही निकाय चुनाव से हुई हो, लेकिन उनकी पार्टी का मेरठ में खाता तो खुल ही गया। महानगर में निकाय चुनाव के वार्ड-80 से एआईएम से पार्षद पद के उम्मीदवार जुबैर अंसारी ने एक हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की है।

वेस्ट यूपी पर है ओवैसी की नजर
असदुद्दीन ओवैसी की नजर पश्चिम उत्त प्रदेश पर काफी पहले से है। लेकिन, उन्हें यहां पर न तो किसी राजनैतिक साथी का सहारा मिला और न ही उन्हें कोई मजबूत उम्मीदवार जो उन्हें चुनाव में जीत हासिल करवा सके। ओवैसी ने इसकी शुरुआत 2012 के विधानसभा से की थी। उस दौरान ओवैसी ने पूरे पश्चिम उप्र से करीब 20 उम्मीदवारों को अपनी पार्टी से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था। जिन जिलों से उनके उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे उनमें मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, देवबंद आदि प्रमुख थे। लेकिन, उस दौरान उनका खाता भी नहीं खुला और प्रत्यशी अपनी जमानत भी जब्त करवा बैठे थे। इसके बाद से ओवैसी समय-समय पर पश्चिम उप्र का दौरा कर यहां पर रैलियां करते रहे। निकाय चुनाव के दौरान भी वे मेरठ में आए थे और उन्होंने एक रैली को संबोधित किया था। निकाय चुनाव के छोटे से पार्षद के रूप में ही सही लेकिन उनका खाता तो पश्चिम उप्र में खुला ही। जिन वार्ड से उनकी पार्टी का पार्षद चुनाव जीते हैं, वह मेरठ का श्याम नगर का इलाका है और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है। ओवैसी की पार्टी का चुनाव जीतना भाजपा के लिए तो चिंता का विषय है ही उसके साथ ही बसपा और समाजवादी पार्टी के लिए सर्वाधिक नुकसान दायक होगा, जो मुस्लिम वोटों पर अपना पारंपरिक हक जताते हैं। जिस वार्ड से जुबैर अंसारी ने जीत दर्ज की है यह वार्ड मुस्लिम बाहुल्य और दलित बाहुल्य बसपा समर्थित माना जाता है। ऐसे में यह बसपा के लिए भी चौंकाने वाली बात है।

राजनैतिक नब्ज के जानकार ओवैसी

ओवैसी का बार-बार पश्चिम उप्र आना और यहां पर राजनैतिक रूप से रैलिया करना कहीं न कहीं यह तो दर्शाता ही है कि ओवैसी राजनैतिक नब्ज को अच्छी तरह से पकड़ना जानते हैं। देर से ही सही लेकिन उनकी पार्टी की जीत का खाता पार्षद पद से खुलना यह भी दर्शाता है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र के मुस्लिम वोटों के वे बड़े कद्रदान के रूप में उभरे हैं।
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