scriptअखिलेश यादव वेस्ट यूपी में खेल सकते हैं जाट और गुर्जर कार्ड, कर ली ये बड़ी तैयारी | Akhilesh Yadav can play Jaat and Gurjar cards in West UP | Patrika News

अखिलेश यादव वेस्ट यूपी में खेल सकते हैं जाट और गुर्जर कार्ड, कर ली ये बड़ी तैयारी

locationमेरठPublished: Aug 25, 2019 06:33:52 pm

Submitted by:

sanjay sharma

खास बातें

सपा प्रदेश, जिला और अन्य प्रकोष्ठों की कार्यकारिणी गठन की तैयारी
सपा अध्यक्ष के चहेतों को मिलने जा रही है पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी
प्रदेश के जिलों में जिलाध्यक्ष पद के लिए चल रही अंदरुनी उठापटक

meerut

,,

मेरठ। प्रदेश, जिला और अन्य प्रकोष्ठों की कार्यकारिणी भंग करने के बाद समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नई कार्यकारिणी गठन करने के लिए माथापच्ची शुरू कर दी है। सपा हाईकमान अगले विधान सभा चुनाव को देखते हुए भी संगठन कार्यकारिणी के गठन की तैयारी कर रहा है। प्रदेश में जिन जनपदों में जिस जाति का वर्चस्व है, सपा अध्यक्ष की मंशा वहां उसी जाति का जिलाध्यक्ष बनाने की है। कहा जा रहा है कि अखिलेश पार्टी में अपने चहेतों को बेहतर काम करने का भरपूर मौका देने जा रहे हैं।
यह भी पढ़ेंः मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने देश की युवा पीढ़ी के भटकाव पर कही ये बड़ी बात

जाट और गुर्जर कार्ड रहेगा हिट

वेस्ट यूपी की राजनीति का केंद्र बिन्दु मेरठ है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव मेरठ को लेकर इस बार ऐसा कार्ड खेलने जा रहे हैं, ऐसा कभी नहीं हुआ। सूत्रों की मानें तो मेरठ में अखिलेश जाटों और गुर्जरों को वरीयता देने के पक्ष में हैं। इसलिए दोनों जाति के नेताओं को भी तैयार किया जा रहा है। नए सपा जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष पद के लिए मेरठ में कई नाम चल रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि जाट और गुर्जर को ही वरीयता मिलेगी। नए सपा जिलाध्यक्ष पद के लिए अतुल प्रधान, सीमा प्रधान, जयवीर सिंह, राजपाल सिंह, गोपाल अग्रवाल के नाम चल रहे हैं। महानगर अध्यक्ष पद के लिए विधायक रफीक अंसारी, दिलशाद मुन्ना, इसरार सैफी के नामों की चर्चा है।
यह भी पढ़ेंः परमधाम न्यास के महाराज पर दो महिलाओं ने लगाया दुष्कर्म का आरोप, मुकदमा दर्ज

हाईकमान का निर्णय मानेंगे

मेरठ जनपद की सपा में अंदरुनी राजनीति और उठापटक बहुत है। यही वजह है कि अखिलेश यहां बहुत सावधानियों के साथ नई कार्यकारिणियों का गठन करेंगे। पार्टी सूत्रों की मानें तो कार्यकारिणी भंग होने के बाद कोई भी स्थानीय नेता इसलिए कोई टीका-टिप्पणी नहीं करना चाहता, ताकि नई कार्यकारिणी के लिए उन्हें नुकसान न उठाना पड़े। इसलिए सभी मौन हैं। बस इतना ही कह रहे हैं कि पार्टी हाईकमान का जो आदेश होगा, उसे मानेंगे। यह बात अलग है कि पार्टी के स्थानीय नेताओं के धड़ों में छत्तीस का आंकड़ा है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो