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मतगणना से पहले भाजपा के गढ़ में मची खलबली, गठबंधन से इतनी चुनौती की इन्हें नहीं थी उम्मीद

locationमेरठPublished: May 20, 2019 05:47:45 pm

Submitted by:

sanjay sharma

वेस्ट यूपी में मेरठ-हापुड़ लोक सभा सीट रही है भाजपा का गढ़
2009 आैर 2014 में भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल बने सांसद
2019 में गठबंधन के उम्मीदवार से मिल रही जोरदार चुनौती

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मतगणना से पहले भाजपा के गढ़ में मची खलबली, गठबंधन से इतनी चुनौती की इन्हें नहीं थी उम्मीद

केपी मेरठ, मेरठ। वेस्ट यूपी में लोकसभा चुनाव 2019 में न तो 2014 जैसा ध्रुवीकरण रहा आैर न ही मोदी के चेहरे का खास जादू। इसके बावजूद भाजपाइयों की पूरी कोशिश थी कि इस बार भी भाजपा अपना 2014 वाला इतिहास इस क्षेत्र से दोहराए। बात करते हैं मेरठ-हापुड लोकसभा सीट की। जहां पर पहले से ही भाजपा से सांसद राजेन्द्र अग्रवाल का पार्टी से लेकर वोटरों के बीच तक विरोध था। फिर भी भाजपा ने राजेन्द्र अग्रवाल पर ही भरोसा जताया आैर उम्मीदवार बनाया। इस बार भाजपा प्रत्याशी को कड़ा मुकाबला महागठबंधन के प्रत्याशी हाजी याकूब कुरैशी दे रहे हैं। मतगणना की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। ऐसे में मेरठ में जगह-जगह इसी बात की चर्चा है कि आखिर जीतेगा कौन। भाजपाई अपनी गुणा फिट करने में लगे हैं तो दूसरी ओर महागठबंधन का भी जीत का दावा है।
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मेरठ सीट है भाजपा का गढ़

भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल लगातार दो बार सांसद चुने जा चुके हैं। वेस्ट यूपी के केंद्र मेरठ लोक सभा सीट राजनीतिक परिदृष्य के लिहाज से अहम मानी जाती है। पिछले दो दशकों से ये सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ मानी जाती रही है। 2014 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत यहां से ही की थी। मेरठ की रैली में जुटी 20 लाख से अधिक की भीड़ से पूरे प्रदेश में बड़ा संदेश गया था।
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मेरठ लोकसभा सीट का इतिहास

पहली लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस ने जीत का स्वाद चखा था, लेकिन 1967 में सोशलिस्ट पार्टी ने कांग्रेस को मात दी। 1971 में एक बार फिर कांग्रेस ने बाजी मारी। उसके अगले चुनाव में इमरजेंसी के खिलाफ चली लहर जनता पार्टी के हक में गई। हालांकि 1980 व 1984 में कांग्रेस की ओर से मोहसिना किदवई और 1989 में जनता पार्टी ने ये सीट जीती। 1990 के दौर में देश में चला राम मंदिर आंदोलन का मेरठ में सीधा असर दिखा और इसी के बाद ये सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ बन गई। 1991,1996 और फिर 1998 में यहां से लगातार भारतीय जनता पार्टी के दबंग नेता अमरपाल सिंह ने जीत दर्ज की। उसके बाद 1999 व 2004 में क्रमशः कांग्रेस और बसपा ने यहां से बाजी मारी। हालांकि 2009 और 2014 में फिर यहां भारतीय जनता पार्टी का परचम लहराया।
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मेरठ लोकसभा सीट का समीकरण

2011 की जनगणना के अनुसार मेरठ की आबादी करीब 35 लाख है। इनमें 65 फीसदी हिंदू, 36 फीसदी मुस्लिम आबादी हैं। मेरठ में कुल वोटरों की संख्या 1964388। इनमें 55.09 फीसदी पुरुष और 44.91 फीसदी महिला वोटर हैं।
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मोदी लहर में उड़ गए थे विपक्षी

2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा की आंधी चली थी। इसकी शुरुआत मेरठ से ही हुई थी। मेरठ में भाजपा को करीब 48 फीसदी वोट मिले थे। मेरठ में राजेंद्र अग्रवाल ने स्थानीय नेता मोहम्मद शाहिद अखलाक को दो लाख से अधिक वोटों से मात दी थी।
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