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सेना के फर्जी पेंशनर कागज बनाने वाले गिराेह के तीन सदस्य गिरफ्तार, विदेशों तक जुड़े हैं तार

locationमेरठPublished: Jan 22, 2021 10:16:19 am

Submitted by:

shivmani tyagi

सेना की इंटेलिजेंसी टीम ने देहरादून से किया गिरफ्तार
सैनिक छावनियों के आसपास सेना से जुड़े बनाता था फर्जी कागजात
उत्तराखंड की राजधानी देहारदून से तीन गिराेह के तीन सदस्य गिरफ्तार

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गिरफ्तार अभियुक्तों से बरामद कागजात

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ ( meeru news ) सेना के फर्जी पेंशनर कागज बनाने वाले एक गिरोह को सेना की इंटेलिजेंस यूनिट और एसटीएफ ने देहरादून से पकड़ा है। ये लोग 50-60 हजार में सिविलियन के लिए सेना के फर्जी पेंशनर कागजातों को तैयार करने का काम करते थे।
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पूछताछ में पता चला कि यह गिरोह सैनिक छावनियों के आसपास सेना से जु़ड़े फर्जी कागजातों को लंबे समय से बनाने का काम कर रहा था। छावनी स्थित सेना की मिलिट्री इंटेलिजेंस टीम ने सिविलियन के लिए सेना के फर्जी पेंशनर कागजात बनाने वाला गिरोह को देहरादून से पकड़ा है। मिलिट्री इंटेलिजेंस टीम ने पांच लोगों को पकड़ कर एसटीएफ ( UP ATS )
के हवाले किया। प्रारंभिक जांच के बाद दो लोगों को छोड़ दिया गया और तीन को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार लोगों में रघुवीर सिंह, विक्की थापा और भैरवतदत्त कोटनाला शामिल हैं। इनके पास से काफी अधिक मात्रा में पूर्व सैनिकों के फर्जी कागजात और आर्मी रबर स्टैंप मिले हैं, जिससे यह लोग फर्जी कागजात बनाया करते थे।
विदेशों में नौकरियों के जाल से जुड़ा है यह फर्जीवाड़ा
फर्जी कागजातों को बनाने का यह गोरखधंधा विदेशों में नौकरी भेजने वाले बड़े रैकेट से भी जुड़ा हुआ है। इन कागजातों का इस्तेमाल सिविलियन को गल्फ देशों में नौकरी दिलाने के लिए तैयार किया जाता है। खाड़ी देशों से अफगानिस्तान सहित आसपास के देशों में नौकरी के लिए इन्हें भेजा जाता है। मेरठ छावनी और देहरादून के आसपास के क्षेत्रों में हजारों की संख्या में पूर्व सैनिक रहते हैं। क्षेत्र से बहुत से लोग दूसरे देशों में नौकरी के लिए आना-जाना भी करते हैं। मोटी रकम लेकर पूर्व सैनिकों की तर्ज पर फर्जी पेंशन कागजात बनाकर उन्हें विदेशों में नौकरी के लिए भेजा जाता है।
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पूर्व सैनिकों की तर्ज पर फर्जी कागजात बनाने वाले इस गिरोह में एक पूर्व सैनिक भी शामिल हैं। रघुवीर सिंह देहरादून के राजपुर में जोहड़ी गांव के रहने वाले हैं। 65 वर्षीय रघुवीर सिंह को पाल के नाम से जाना जाता है। वह 2006 में सेना के सप्लाई डिपो देहरादून से सेवानिवृत्त हुआ। 42 साल की उम्र तक सप्लाई डिपो में रहते हुए सेना को सेवाएं दी और अब सेना के नाम पर ही फर्जीवाड़े का धंधा शुरू कर दिया। 2008 से 2013 तक जोहड़ी गांव के उपप्रधान भी रहे और पिछले 2 साल से वह बेटे संजय छेत्री के साथ फर्जीवाड़े के धंधे को आगे बढ़ा रहे थे। संजय छेत्री भी पूर्व सैनिक है और सेना में लंबे समय तक कार्यरत रहा है। उन्होंने अपनी सेवाएं देने के बाद पिता के साथ इस गोरखधंधे में साथ दिया। उनके साथ विकी थापा देहरादून के दूधली बडकली का रहने वाला है और प्रिंटिंग प्रेस संचालक भैरव दत्त कटनाला पंचायत भवन रोड बंजर वाला का रहने वाला है। यह रघुवीर का करीबी भी बताया जाता है। दीपक भी इन लोगों के साथ इस काम में शुरू से ही जुड़ा हुआ है जो ऐसे लोगों को ढूंढता था जो बाहर जाकर नौकरी करना चाहते थे।
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