जी हां, आज हम बात करने जा रहे हैं बागपत जिले के एक ऐसे सरकारी विद्यालय की, जहां बच्चे किताबी ज्ञान के साथ -साथ कई ऐसी कला भी सीख रहे हैं, जिनसे उनका तेजी से मानसिक विकास बढ़ रहा है। हम आपको बता दें कि बागपत जनपद के बिनोली के बरनावा गांव का यह पूर्व माध्यमिक विद्यालय है। यहां बच्चे किताब ही नहीं, नई-नई तरह की कलाकृतियां और ऐसी चीजें सीख रहे हैं, जिन से अपने घर और आंगन को सुंदर तो बनाया जा ही सकता है।
इसके साथ ही अपने रोजगार में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। यहां पढ़ाने वाली अध्यापिका शालू सिंह बच्चों को ऐसे कई प्रकार के खेल खिलौने और कलाकृतियां बनाना सिखा रही है, जिन्हें बच्चे खुश होकर सीखते हैं। जब यह खिलौनेे बनकर तैयार होती हैं तो बच्चों को ही नहीं, वहां आने जाने वाले उनके अभिभावकों का भी मन मोह लेेते हैं।
पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें ऐसे गुर सिखा रही हैं, जिनसे वे अपने घर आंगन को सुंदर तो बना ही सकती हैं। अगर अपने हुनर का और इस्तेमाल करें तो अच्छा मुनाफा भी कमाया जा सकता है। अध्यापिका द्वारा नए तरीके से बच्चों को पढ़ाना और उनका मानसिक विकास करना, यहां के लोगों को बहुत अच्छा पसंद आ रहा है। एनपीएस बिनोली क्षेत्र के बरनावा गांव में लड़के और लड़कियां बहुत ही सुंदर-सुंदर कलाकृतियां बना रहे हैं। चाहे रक्षाबंधन का त्यौहार हो या दीपावली का, या फिर होली यह बच्चे अपने घर को सजाने के लिए खुद ही झालर और कलाकृतियां तैयार करते हैं।
इनको देखने वाले भी बच्चों और अध्यापकों की तारीफ किए बिना नहीं रह पाते। बागपत जनपद में यह अध्यापिका बच्चों के लिए एक नजीर बनी हुई है। वहीं, प्रशासनिक अधिकारी भी उनके कार्यों को देख कर प्रसन्न व्यक्त किए बिना नहीं रह पाते हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी कई बार इस विद्यालय का दौरा कर चुके हैं। वहीं, बाहर से आने वाले अधिकारियों को लेकर भी ऐसे ही स्कूलों के दौरे कराए जाते हैं, जिससे अधिकारी भी गदगद हो जाएं।
इसके साथ ही खेकड़ा ब्लॉक क्षेत्र के सिंगोली गांव में भी एक ऐसी ही अध्यापिका सोनू निगम बच्चों में कई तरह की जिज्ञासा भर चुकी हैं। यहां बच्चों की शिक्षा का इतना तेजी से विस्तार हुआ है कि वह जिले में ही नहीं, लखनऊ से भी सम्मानित की जा चुकी हैं। उनके द्वारा बच्चों की शिक्षा देना केवल मकसद ही नहीं है। वे बच्चों का विकास करना भी बेहद जरूरी मानती हैं। उन्होंने बच्चों की शिक्षा और उनके लिखने की सुंदरता को इतना सुंदर बनाया है कि देखने वाले भी चकित रह जाएं। बच्चे हाथ से ऐसे डिजाइन और कलाकृतियां बनाते हैं, जिनको देखकर लोग तारीफ किए बिना नहीं रह पाते। जिन अभिभावकों के बच्चे यहां पढ़ते हैं। वह भी अध्यापिका के कार्यों से बहुत कुश हैं। उनको लगता है कि उन्होंने सरकारी विद्यालय में बच्चों का नामांकन करा कर कोई गलती नहीं की है।
अभिभावक संजय शर्मा कहते हैं कि हम जब भी स्कूल जाते हैं तो अध्यापिका बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ कुछ न कुछ ऐसी नई चीजें सिखाती दिखाई देती हैं, जो बच्चों की जिंदगी भर काम आएंगी।
लड़कियां ऐसी चीजें सीख रही हैं, जो उनके हमेशा काम आने वाली है।
अपने घर बार को सुंदर बनाने के लिए और दूसरों को सुंदर बनाने के लिए उनके पास बहुत ही सुंदर तरीके भी हैं और विचार भी, जिन का फायदा इन सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मिल रहा है।