देश में इनमें से प्रमुख रुप से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई), जमात ए इस्लामी हिंद (जेईआईएच) आदि शामिल हैं। इस तेज गति वाले जीवन में योग्य मुसलमानों को समय बचाने और शारीरिक श्रम से बचने के लिए ऑनलाइन जकात दान करना आसान लगता है। जकात प्रशासकों को जो लोग जकात दान करते हैं उनको ज़कात के अंतिम उपयोग के बारे में पूछताछ करनी चाहिए। उन्हें जवाबदेही के लिए पूछना चाहिए।
दिल्ली हिंसा के बाद की जांच के दौरान पीएफआई के एकाउंटेंट ने खुलासा किया कि दिल्ली के शाहीन बाग में पीएफआई का मुख्यालय करोड़ों बेहिसाब धन रखता है जिसका उपयोग वे बिना किसी जवाबदेही के करते हैं। पीएफआई के खिलाफ विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा हवाला मनी लेनदेन के कई मामलों की जांच की जा रही है। उलेमा शमसुद्दीन ताहिर ने मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि उनको यह तय करना है कि उनकी गाढ़ी कमाई का इस्तेमाल पीएफआई जैसे संगठनों द्वारा किया जाना है या गरीब और जरूरतमंद मुसलमानों के उत्थान के लिए। मात्र दान से मुसलमानों को धन के अंतिम उपयोग के प्रति उनकी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं किया जा सकता।