इतना ही नहीं बाइक बोट घोटाला कांड के आरोपी को रिहा करने के आदेश के बावजूद हिरासत में रखने पर भी कोर्ट ने जताई नाराजगी जताई है। कोर्ट ने इसके लिए सभी एफआईआर को एक सिद्धांत की एफआईआर में विलय करने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग किया है। पहले सत्येंद्र सिंह भसीन उर्फ मोंटू भसीन और दिनेश पांडे को 2020-21 में बाइक बोट मामले में संबंधित दर्ज सभी एफआईआर में नियमित जमानत दे दी थी। ये जमानत इस अधार पर दी गई थी कि दोनों का नाम न तो एफआईआर में था और न ही मेसर्स गारविट इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के निदेशक, पदाधिकारी या प्रबंधक की सूची में शामिल था। जिनके द्वारा बाइक-बॉट योजना शुरू की गई थी।
यह भी पढ़े : sampurna samadhan divas : समाधान दिवस पर दर्ज शिकायतों का शिकायतकर्ता से फोन पर लिया जाएगा फीडबैक यह है बाइक बोट घोटाला संजय भाटी ने गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के नाम से 2010 में कंपनी बनाई थी। इसके बाद 2018 में बाइक बोट स्कीम लॉन्च की गई थी। स्कीम के तहत बाइक टैक्सी शुरू की गई। इसके तहत एक व्यक्ति से एक मुश्त 62200 रुपये का निवेश कराया गया। उसके एवज में एकक साल तक 9765 रुपये देने का वादा किया गया था। इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने देशभर में स्कीम में निवेश के जानिए मोटा मुनाफा देने का लालच देकर लाखों लोगों से ठगी की है। 42 हजार करोड रुपये के इस घोटाले की जांच मेरठ ईओडब्ल्यू शाखा के पास है। जिसमें अब तक ईओडब्ल्यू 24 आरोपियों को जेल भेज चुकी है। इस मामले में अब तक मुख्य आरोपी संजय भाटी और बीएन तिवारी समेत कुल 26 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। जिसमें दो आरोपी मोंटी भसीन और दिनेश पांडेय को जमानत मिल चुकी है और अब कुल 24 आरोपी नोएडा जेल में बंद है। इस मामले में अभी मुख्य आरोपी संजय भाटी की पत्नी दीप्ती बहल समेत चार आरोपी अभी फरार हैं जिनको अभी तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई है। मेरठ सहित पश्चिमी उप्र में सैकड़ों लोगों ने बाइक बोट स्कीम में रुपया लगाया था।