भरत ने बताया उनका और उनकी बहन के बोन मैरो का मैचिंग परसेंटेज 99ः5 था। सारे टेस्ट पहले हो चुके थें। शरीर से स्टेम सेल निकालने से पांच दिन पहले उन्हें भर्ती किया गया। इंजेक्शन लगाए गए। जिससे स्टेम सेल की ग्रोथ बढ़ सकें। डा0राहुल भार्गव को जब लगा कि भरत पूरी तरह से तैयार है तो फिर हाथ से स्टेम सेल लेने की प्रक्रिया शुरू की गई। इसमें करीब सात घंटे का समय लगा। बोन मैरो ट्रांसप्लांट के बाद भारती अब पूरी तरह से स्वस्थ है। हर तीन महीने में उन्हें चेकअप के लिए जाना पड़ता है। मौसम परिवर्तन के दौरान जरूर कुछ कॉम्पलिकेशन आ जाते हैं। हालांकि अब स्वास्थ्य में सुधार है।
डा0 राहुल भार्गव कहते हैं कि अन्य लोगों को भी अंगदान के लिए आगे आना चाहिए। आजकल जिस तरीके से लोगों में रक्त दान के प्रति जागरूकता बढ़ी है। उसी तरीके से अब अंगदान करने की प्रेरणा भी लोगों में देखी जा रही है। लोग केसों को देखकर आगे आ रहे हैं और अंगदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अंगदान भी रक्तदान के जैसे ही एक स्वास्थ्य प्रक्रिया है। इससे कोई नुकसान नहीं होता है। समाज को अंगदान के लिए आगे आना चाहिए।