script

Mission 2019 : अखिलेश के बड़ा दिल दिखाने के बाद इन जिलों में बसपा को अब हराना होगा मुश्किल

locationमेरठPublished: Jun 14, 2018 05:32:18 pm

सपा-बसपा ने मिशन 2019 की तैयारियां तेज कर दी है, सीटों को लेकर मायावती को ज्यादा तवज्जों देने वाले अखिलेश के बयान से सूबे में सपा-बसपा गठबंधन और मजबूत होता दिख रहा !

SP_BSP Alliance

अखिलेश के बड़ा दिल दिखाने के बाद इन जिलों में बसपा को अब हराना होगा मुश्किल

मेरठ. सपा और बसपा के गठबंधन से जहां भाजपा सरकार और उसके नेताओं की नींद उड़ी हुई है। वहीं, सपा-बसपा ने अपने प्रभाव वाले जिलों में मिशन 2019 की तैयारियां तेज कर दी है। सीटों के बंटवारे को लेकर मायावती को ज्यादा तवज्जों देने वाली अखिलेश के बयान से सूबे में सपा-बसपा का गठबंधन और मजबूत होता दिख रहा है। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती अभी तक चुप्पी साधे हुई हैं। सीट बंटवारे में अगर विधानसभा चुनाव 2014 वाला फॉर्मूला लागू होता है तो इसका लाभ बसपा को अधिक मिलेगा। यही वजह है कि खुद अखिलेश यादव ने गठबंधन को बचाने के लिए छोटे भाई की भूमिका भी स्वीकार करने की बात कही है।

कैराना के बाद भीम आर्मी ने फिर उड़ाई भाजपा की नींद, 2019 में भगवा ब्रिगेड को हराने के लिए करेगा काम

दरअसल, विधानसभा चुनाव 2014 के फॉर्मूले का मतलब है कि जिन सीटों पर सपा दूसरे नंबर पर रही। वहां पर सपा का प्रत्याशी चुनाव लडे़गा और जिन सीटों पर बसपा दूसरे नंबर पर रही। वहां पर बसपा का प्रत्याशी चुनाव लडे़गा। पश्चिम उप्र की बात करें तो यहां के 12 जिलों में से अधिकांश में हाथी,साइकिल पर भारी पड़ा और दूसरे नंबर पर रहा था। जबकि साइकिल कहीं तीसरे नंबर पर पंचर हुई तो कहीं चैथे नंबर पर पंचर हुई। मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बागपत, मुरादाबाद, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद और शामली ऐसे जिले हैं, जहां पर बसपा दूसरे नंबर पर रही थी, जबकि साइकिल को अधिकांश स्थान पर तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा था।

यह भी पड़ेंः आसमान में धूल छाने के बाद अब कभी भी आ सकती है खतरनाक आंधी, ये है मौसम विभाग का अलर्ट

समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर कहते है कि प्रदेश की राजनीति अच्छे-अच्छों की समझ के बाहर है। इसका एक ताजा उदाहरण प्रदेश के उपचुनाव में देखने को मिला। फूलपुर और गोरखपुर के बाद कैराना और नूरपुर भाजपा के हाथ से एक-एक कर निकल गई। भाजपा को अब समझ लेना चाहिए कि उसका खेल खत्म हो गया। प्रदेश की दो कट्टर प्रतिद्वंती पार्टियों ने एक-दूसरे का हाथ थाम लिया है, ऐसे में भाजपा अब अपनी सीट भी बचाने में भी मुश्किल हो रही है। वहीं, बसपा के कद्दावर नेता मुनकाद अली कहते हैं जो काम हमें 2017 में करना चाहिये था, वह अब कर रहे हैं। बसपा-सपा का साथ आना कितना फायदेमंद है यह हमने उपचुनावों के परिणाम में देखा ही जा चुका है। अब तो पूहरे प्रदेश में माहौल गठबंधन के पक्ष में दिखाई दे रहा है। बसपा के पूर्व सांसद मुनकाद अली के मुताबिक भाजपा अक्सर मजाक उड़ाती रहती है कि विपक्ष के पास उससे मुकाबले के लिए कोई आधार नहीं है। भाजपा के इस उपहास पर हरारा वार करते हुए उन्होंने कहा कि बसपा और सपा के साथ आने के बाद आखिरकार वह आधार मिल गया है, जिसकी वजह से भाजपा की जमीन खिसकनी शुरू हो गई है।

भाजपा की इस रणनीति से महागठबंधन की निकल जाएगी हवा, सपा-बसपा में फैली बेचैनी

सपा के शहर विधायक रफीक अंसारी कहते हैं कि सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस बात की भी पुष्टि कर दी है कि जनता को बुआ और भतीजे का साथ आगे भी देखने को मिलेगा। इस समय प्रासंगिक यही है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने और राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने के लिए दोनों पार्टियां एक-दूसरे का हाथ थामकर ही आगे बढ़ रही हैं। रफीक कहते हैं कि भाजपा देश और राज्य दोनों को नुकसान पहुंचा रही है। बसपा-सपा गठबंधन एक ऐसी ताकत है जो सत्ता के मद में चूर और नकारा भाजपा सरकार को करारी शिकस्त दे सकता है।

ट्रेंडिंग वीडियो