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महागठबंधन की केमिस्ट्री फेल होने के बाद बसपा सुप्रीमो ने मिशन 2022 के लिए बनाई ये रणनीति

locationमेरठPublished: Jun 07, 2019 07:57:26 pm

Submitted by:

sanjay sharma

लोक सभा चुनाव में गठबंधन से बसपा को हुअा फायदा
पिछले चुनाव में सप आैर बसपा का वोट प्रतिशत घटा
पार्टी के पदाधिकारियों को जिला कार्यालय में बैठने के आदेश

meerut

महागठबंधन की केमिस्ट्री फेल होने के बाद बसपा सुप्रीमो ने मिशन 2022 के लिए बनाई ये रणनीति

केपी त्रिपाठी, मेरठ। चुनाव में फेल हुई गठबंधन की केमिस्ट्री के बाद अब बसपा सुप्रीमो मायावती अपनी नर्इ रणनीति में जुट गई हैं। जिसके तहत उन्होंने जिलों के कार्यालयों को प्रमुखता देना शुरू किया है, लेकिन मेरठ में चुनाव के बाद से बसपा कार्यालय में सन्नाटा पसरा है। प्रदेश से भाजपा को उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ चुनाव में बना सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन नतीजे आने के बाद टूट गया। हालांकि इस महागठबंधन से अगर किसी को लाभ हुआ तो वो है बसपा। जिसको इस बार 10 सीटें हाथ मिली, लेकिन अन्य दलों को कोई राजनीतिक लाभ नहीं हुआ। वेस्ट में तो औधे मुंह ही गिरा। भाजपा की आंधी में उड़े गठबंधन के दल अब अलग रणनीति बनाने में जुट गए हैं। इनमें बसपा पहले आगे निकल गर्इ आैर 2022 में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए नर्इ रणनीति भी बना ली है।
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जिला कार्यालय में बैठेंगे पदाधिकारी

बसपा प्रमुख मायावती ने कहा है कि पदाधिकारी अब पार्टी के जिला कार्यालय पर बैठें और वहां कार्यकर्ताओं की समस्याओं पर ध्यान दें। अभी बसपा प्रमुख के इस फरमान को कार्यकर्ता आत्मसात नहीं कर पाए हैं। मेरठ में बसपा कार्यालय पर सन्नाटा पसरा है। कुर्सियां एक ओर रख दी गर्इ हैं। बता दें कि 80 लोकसभा सीटों में से कम से कम 60 सीटें जीतने की उम्मीद कर रहे गठबंधन को महज 15 सीटें ही मिली हैं। वोट प्रतिशत के लिहाज से देखें तो सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन का प्रयोग बिल्कुल नाकाम साबित हुआ। एक-दूसरे को अपना वोट अंतरित करने का दावा कर रही सपा और बसपा का वोट प्रतिशत बढ़ने के बजाय घट गया।
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सपा-बसपा का वोट प्रतिशत घटा

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जहां सपा को 22.35 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं इस बार यह आंकड़ा घटकर 17.96 फीसदी ही रह गया। पिछली बार बसपा को 19.77 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे, जो इस बार घटकर 19.26 फीसदी रह गए हैं। जहां तक रालोद का सवाल है तो पिछली बार की तरह ही वह इस बार भी एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रहा। हालांकि उसका वोट प्रतिशत 0.86 प्रतिशत से बढ़कर 1.67 फीसदी हो गया। सपा-बसपा-रालोद गठबंधन इस खुशफहमी में था कि यादव, मुस्लिम और जाटव मतदाताओं की जुगलबंदी के बूते वह किला फतह कर लेगा, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। अब बीएसपी सुप्रीमो अकेले ही आगे की तैयारी में जुट गई है। बसपा के एक प्रमुख नेता ने बताया कि बहन जी का फोकस अब दलित वोटों पर ही हो गया है। उन्होंने प्रदेश के सभी कार्यालयों में पदधिकारियों को बैठने के आदेश दिए हैं। जो जमीनी कार्यकर्ता का ध्यान रखेंगे और उनकी समस्याएं सुनेंगे, ताकि 2022 चुनाव में बेहतर परिणाम आ सकें।
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