सात लोग मिलकर कर सकते हैं बड़े पशु की कुर्बानी
मेरठ निवासी मौलाना हाजी शफीक के अनुसार बकरे की कुर्बानी एक व्यक्ति या एक परिवार के लोग कर सकते हैं। जबकि बड़े पशु में जैसे भैंस,भैंसा या कटड़े की कुर्बानी सात लोग मिलकर कर सकते हैं। यानी भैंस की कुर्बानी सात लोगों को लगेगी। जबकि बकरे की कुर्बानी एक व्यक्ति को ही लगती है। इसलिए कुर्बानी के लिए सात लोग मिलकर एक भैंस खरीद लाते हैं और कुर्बानी देते हैं। इससे भैंस प्रति व्यक्ति सस्ती भी पड़ती हैं और कुर्बानी भी हो जाती है।
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कुर्बानी पर पड़ा लॉकडाउन का असर
कुछ मुस्लिम व्यापारियों का कहना है कि इस बार बकरीद के मौके पर दी जाने वाली कुर्बानी पर लॉकडाउन का असर पड़ा। इस बार बकरें काफी महंगे बिके। जबकि भैंस सस्ती थी। इस कारण लोगों ने मिलकर एक भैंस ली और उसकी कुर्बानी करवाई। व्यापारिेयों की माने तो दो साल से व्यापार पर कोरोना संक्रमण की मार पड़ी है। जिसके चलते ईंद की खुशियां भी इस बार फीकी ही रहीं।
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