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शर्मनाक! अधिकारियों की बदइंतजामी से बुझी जलती चिता, दो बार करना पड़ा अंतिम संस्कार

locationमेरठPublished: Jun 18, 2021 11:23:12 am

Submitted by:

Rahul Chauhan

शवदाह गृह पर निगम के बद इंतजामी की खुली पोल। लकड़ी गीली होने से कारण दाह संस्कार में लगा काफी समय। मुरादनगर हादसे से भी नहीं लिया निगम ने सबक।

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मेरठ। मुरादनगर शवदाह गृह पर हुआ हादसा किसे याद नहीं है। लखनऊ तक उसके पीड़ितों की चीख सुनाई दी थी। लेकिन उसके बाद भी प्रदेश के शवदाह गृहों की हालत में सुधार नहीं हुआ। मेरठ में तेज बारिश के दौरान गुरूवार को अब्दुल्लापुर शवदाह गृह के बदइंतजामी की पोल खुल गई। यहां शवदाह गृह की टूटी छत से चिता पर बारिश का पानी गिरा, जिससे चिता की आग बुझ गई। शव के अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को दो बार चिता सजानी पड़ी। यही नहीं, लकड़ी गीली होने के कारण उन्हें दाह संस्कार करने के लिए चीनी समेत अन्य सामग्री मंगानी पड़ी।
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दरअसल, वार्ड 17 अब्दुल्लापुर निवासी राजेश कुमार गुप्ता की माता कलावती का निधन बुधवार देर रात हो गया था। परिजन गुरुवार को अंतिम संस्कार के लिए अब्दुल्लापुर शवदाह गृह पहुंचे थे। चिता सजाकर अग्नि जैसे ही दी गई। जोरदार बारिश शुरू हो गई। देखते ही देखते बारिश का पानी प्लेटफार्म की टूटी छत से सीधे चिता पर तेजी से गिरने लगा। जिससे चिता बुझ गई। इसके बाद परिजनों ने बारिश बंद होने का इंतजार किया। बारिश में लकड़ी भी गीली हो गई। इसे देखते हुए चीनी और अन्य सामग्री अधिक मात्रा मंगाई गई। करीब तीन घंटे बाद अंतिम संस्कार संभव हुआ।
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लोगों का कहना है कि अब्दुल्लापुर शवदाह गृह के प्लेटफार्म की छत की मरम्मत की एक साल से मांग की जा रही है। नगर निगम अधिकारियों को पत्र भी लिखे गए। लेकिन अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। पिछले साल बरसात में बाउंड्रीवाल गिर गई थी। इस बारे में सहायक नगर आयुक्त ब्रजपाल सिंह द्वितीय ने बताया कि शवदाह गृह की प्लेटफार्म की छत पर धुंआ निकलने के लिए यह स्थान छोड़ा जाता है। लेकिन निर्माण एजेंसी को इसके ऊपर कुछ स्थान ऊंचाई पर कवर करना चाहिए था। जो नहीं किया गया। इसे सुधारा जाएगा।
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