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दरअसल, छात्रों का रिजल्ट तैयार करने में स्कूल मनमानी न करें इसलिए सीबीएसई ने स्कूल के पिछले तीन साल के रिजल्ट औसत से दो फीसद ऊपर-नीचे ही रिजल्ट होने की बात कही है। अधिकतर स्कूलों में 10वीं में सभी छात्र उत्तीर्ण होते हैं। रिजल्ट को सौ फीसद होता है लेकिन छात्रों को विभिन्न विषयों में मिले अंकों में अंतर होता है। विषयवार अंकों का औसत जो भी पिछले तीन सालों में रहा होगा उसी के आस-पास रिजल्ट इस बार का भी होना चाहिए। इसकी जांच के लिए सीबीएसई स्कूलों से रिजल्ट बनाने में तैयार नियम व सुबूत भी मांग सकता है। यह भी पढ़ें