चौधरी साहब के सहयोगी पूर्व विधायक जगत सिंह ने बताया कि साल 1986 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह दिल्ली के वेलिंगटन हास्पिटल जिसे अब राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कहा जाता है में भर्ती थे। जगत सिंह उनसे मिलने अक्सर जाया करते थे। चौधरी साहब जीवन के अंतिम वषों में जब बहुत बीमार थे। तब भी उनका दर्द किसानों की स्थिति को लेकर छलक उठता था। वह हमेशा यही बात कहते थे कि किसानों की स्थिति सुधरनी बहुत जरूरी है। उन्हें यह चिंता भी सताती थी कि उनके बाद किसानों के मुद्दों की पैरवी कौन करेगा।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री होने के साथ ही साथ चौधरी चरण सिंह कृषि अर्थव्यवस्था की गहरी समझ रखने वाले उच्च कोटि के विद्धान, लेखक एवं अर्थशास्त्री थे। चौधरी साहब किसान आंदोलन के शिखर पर लगभग पांच दशक तक छाए रहे। उन्होंने सरकारी नौकरियों में कृषकों और कृषि मजदूरों के बच्चों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग की थी।
चौधरी सिंह एक वकील के साथ ही एक कुशल लेखक भी थे। उनका अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ थी। उन्होंने ‘अबॉलिशन ऑफ़ जमींदारी’, ‘लिजेण्ड प्रोपराइटरशिप’ और ‘इंडियास पॉवर्टी एण्ड इट्स सोल्यूशंस’ नामक पुस्तकों का लेखन भी किया।
चौधरी चरण सिंह की व्यक्तिगत छवि एक ऐसे देहाती पुरुष की थी जो सादा जीवन और उच्च विचार में विश्वास रखता था। इनका पहनावा एक किसान की सादगी को दर्शाता था। चौधरी चरण सिंह ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की बिताया। चौधरी साहब देश के दलितों,पिछड़ों,गरीबों और किसानों की बेहतरी के लिए संघर्ष किया, उन्हें राजनीति में हिस्सेदार बनाया।