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किसानों के दिलों में बसते हैं चौधरी चरण सिंह: पुण्यतिथि पर पढ़िए उनसे जुड़ी ये खास बातें

locationमेरठPublished: May 29, 2023 11:40:27 am

Submitted by:

Vikash Singh

भारत के पांचवे प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का पुण्यतिथि है। आज से ठीक 36 साल पहले 29 मई 1987 को किसानों के मसीहा का निधन हो गया। किसान और मजदूर हितों के लिए किए गए काम आज भी लोगों के दिल में हैं। आईए जानते हैं उनसे जुड़ी ये खास बातें…

किसानों के दिलों में बसते हैं चौधरी चरण सिंह

किसानों के दिलों में बसते हैं चौधरी चरण सिंह

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता कहे जाने वाले चौधरी साहब का निधन आज के दिन हुआ था। 29 मई 1987 को किसानों के मसीहा 85 साल के आयु में अंतिम सांस ली। किसानों के लिए उनका समर्पण इतना ज्यादा था कि उनके जन्मदिन को किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है और जब भी किसानों के हितों की बात की जाती है तो आज भी चौधरी चरण सिंह का नाम सामने आता है। चौधरी साहब का समाधी स्थल दिल्ली में है।
जीवन के अंतिम समय में भी किसानों की रहती थी चिंता
चौधरी साहब के सहयोगी पूर्व विधायक जगत सिंह ने बताया कि साल 1986 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह दिल्ली के वेलिंगटन हास्पिटल जिसे अब राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कहा जाता है में भर्ती थे। जगत सिंह उनसे मिलने अक्सर जाया करते थे। चौधरी साहब जीवन के अंतिम वषों में जब बहुत बीमार थे। तब भी उनका दर्द किसानों की स्थिति को लेकर छलक उठता था। वह हमेशा यही बात कहते थे कि किसानों की स्थिति सुधरनी बहुत जरूरी है। उन्हें यह चिंता भी सताती थी कि उनके बाद किसानों के मुद्दों की पैरवी कौन करेगा।
गरीबों से जुड़े थे चौधरी साहब
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री होने के साथ ही साथ चौधरी चरण सिंह कृषि अर्थव्यवस्था की गहरी समझ रखने वाले उच्च कोटि के विद्धान, लेखक एवं अर्थशास्त्री थे। चौधरी साहब किसान आंदोलन के शिखर पर लगभग पांच दशक तक छाए रहे। उन्होंने सरकारी नौकरियों में कृषकों और कृषि मजदूरों के बच्चों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग की थी।
कुशल लेखक की गुण भी थे चौधरी साहब के अंदर
चौधरी सिंह एक वकील के साथ ही एक कुशल लेखक भी थे। उनका अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ थी। उन्होंने ‘अबॉलिशन ऑफ़ जमींदारी’, ‘लिजेण्ड प्रोपराइटरशिप’ और ‘इंडियास पॉवर्टी एण्ड इट्स सोल्यूशंस’ नामक पुस्तकों का लेखन भी किया।
किसानों के तरह करते थे जीवन यापन
चौधरी चरण सिंह की व्यक्तिगत छवि एक ऐसे देहाती पुरुष की थी जो सादा जीवन और उच्च विचार में विश्वास रखता था। इनका पहनावा एक किसान की सादगी को दर्शाता था। चौधरी चरण सिंह ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की बिताया। चौधरी साहब देश के दलितों,पिछड़ों,गरीबों और किसानों की बेहतरी के लिए संघर्ष किया, उन्हें राजनीति में हिस्सेदार बनाया।
(यह स्टोरी श्रेया पांडेय ने लिखी है। श्रेया पत्रिका उत्तर प्रदेश के साथ इंटर्नशिप कर रही हैं।)

 
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