मेरठ

राहुल गांधी इस रणनीति से यूपी में भाजपा के देंगे मात

कांग्रेस अध्यक्ष बनते ही UP में पार्टी को मजबूर करने के लिए नई रणनीति पर काम शुरू

मेरठDec 13, 2017 / 10:03 pm

Iftekhar

मेरठ. राहुल गांधी के देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी के अध्यक्ष बनने के बाद से स्थानी कांग्रेसी नेताओं में नया जोश दिख रहा है। मेरठ सहित पश्चिम उप्र के सभी जिलों में कांग्रेसियों ने राहुल गांधी के चित्र को मिठाई खिलाकर उसके बाद खुद मुंह मीठा किया। इसके साथ ही पार्टी के नेता अपने बुरे दिन को भूलकर पुरानी रणनीति पर फिर से काम करते नजर आ रहे हैं। दरअसल, पार्टी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली बुलाकर पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए अपने पुराने नेताओं को पार्टी से जोड़ने का आदेश दिया है। इसके साथ ही राहुल गांधी ने संकेत दिए हैं कि वे जमीन से जुड़े पुराने कांग्रेसी नेताओं से अनुभव भी साझा करेंगे।

दिल्ली बुलाए गए पुराने दिग्गज
मेरठ से कांग्रेस के पुराने नेता और एआईसीसी के सदस्य पंडित जयनरायण शर्मा ने बताया कि राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद से कार्यकर्ताओं में नया उत्साह आया है। उन्होंने बताया कि पार्टी मुख्यालय से उनके पास फोन आया और उन्हें दिल्ली पार्टी मुख्यालय में बुलाया गया है। उन्होंने बताया कि इस बात के संकेत मिले हैं कि अब पुराने कांग्रेसी नेताओं को फिर से एकत्र किया जा रहा है। इसेक लिए ऐसे पुराने कांग्रेसी दिग्गजों की सूची बनाई जा रही है, जिन्हें जिम्मेदारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि गुजरात चुनाव के बाद उप्र संगठन में भारी फेरबदल होंगे। इस दौरान पुराने कांग्रेसियों की वापसी के प्रयास किए जाएंगे और उन्हें नई जिम्मेदारियां भी दी जाएंगी।

दरअसल, राहुल गांधी को ऐसे समय पार्टी की कमान मिली है, जब कांग्रेस देश के हर कोने में चारों खाने चित पड़ी है। खासकर जिस उप्र में कांग्रेस की तूती बोलती थी, उस उप्र में तो कांग्रेस अपना पूरा वजूद ही खो चुकी है। पहले 2012 के लोकसभा चुनाव परिणाम और उसके बाद विधानसभा चुनाव की करारी शिकस्त के बाद देश के सबसे बड़े राज्य की आखिरी पायदान के चुनाव (निकाय चुनाव) में भी कांग्रेस सबसे नीचे पायदान पर रही। यानी निकाय चुनाव में भी कांग्रेसी कुछ खास नहीं कर पाए और रही सही साख भी गंवा बैठे।

समय ने बदली करवट तो दहाई के भीतर सिमटी कांग्रेस
समय ने ऐसी करवट बदली कि 16वीं विधानसभा में जिस पार्टी के 28 विधायक थे। 17वीं विधानसभा में वह पार्टी दहाई का आंकड़ा भी न छू सकी। 17 विधानसभा में कांग्रेस के मात्र सात उम्मीदवार ही जीत दर्ज करने में सफल रहे। इनमें में भी दो पश्चिम उप्र से थे। जिनमें सहारपुर की बेहट सीट से नरेश सैनी और सहारनपुर देहात से मसूद अख्तर शामिल हैं। केंद्र में मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में भूमिका निभाने वाली इस पार्टी को यह ध्यान में रखना होगा कि अगले आम चुनाव के बीच अब मुश्किल ही 18 महीने का समय बाकी बचा है।

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