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किसान, मुस्लिम और दलित वोटों के सहारे सियासी जमीन मजबूत करने में जुटी कांग्रेस, कर ली ये तैयारी

locationमेरठPublished: Feb 22, 2020 01:33:20 pm

Submitted by:

sanjay sharma

Highlights

तिरंगा यात्रा जमीनी पकड़ मजबूत करने का ही अभियान
कांग्रेस सेवा दल के कार्यकर्ता निकाल रहे तिरंगा यात्रा
प्रदेश राजनीति में बदलाव की तस्वीर देख रही कांग्रेस

meerut
केपी त्रिपाठी, मेरठ। तीन दशकों से हाशिए पर चल रही कांग्रेस एक बार फिर किसान, मुस्लिम व दलित वोटों के सहारे अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में लग गई है। कांग्रेस सेवादल की तिरंगा यात्रा भी इसी कवायद का हिस्सा है। पश्चिम में जिन जिलों को तिरंगा यात्रा के लिए चुना गया। तीनों ही जिले किसान, मुस्लिम और दलित बाहुल्य हैं। बागपत-मेरठ में किसान तो मेरठ-हापुड दलित और मुस्लिम बाहुल्य जिले की श्रेणी में शुमार है। इसी मुस्लिम−दलित वोट बैंक के सहारे कांग्रेस ने प्रदेश में लम्बे समय तक राज किया था, लेकिन जबसे मुस्लिमों ने सपा और दलितों ने बसपा का दामन थामा तब से कांग्रेस की जो दुर्गत होनी शुरू हुई वह आज भी जारी है।
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इसी वोट बैंक को साधने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने पश्चिम उप्र में 20 दिसंबर को हुई हिंसा में प्रभावित हुए मुस्लिमों के घरों में जाकर उन्हें जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की। प्रियंका दूसरी तरफ दलित वोट बैंक के चक्कर में भीम आर्मी से पार्टी की नजदीकियां बढ़ा रही हैं। ताकि बसपा सुप्रीमो मायावती को सबक सिखाया जा सके। सबसे अधिक सांसद देने वाले यूपी की विधान सभा के सदस्यों की संख्या भी अन्य राज्यों की विधानसभाओं के मुकाबले काफी अधिक है। यहां जिस पार्टी का परचम लहराता है, वह पार्टी केंद्र की सियासत में भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
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जब तक कांग्रेस उत्तर प्रदेश में मजबूत रही, तब तक केन्द्र में भी उसे मजबूती मिली रही। जब यहां कमजोर हुई तो उसे केन्द्र की सत्ता हासिल करने के लिए अन्य दलों का सहारा लेना पड़ा। पिछले दो आम चुनावों से यूपी में भाजपा का झंडा बुलंदी पर है। कांग्रेस और भाजपा ने केन्द्र की सत्ता पर राज भले किया हो, लेकिन पिछले तीन दशकों में जब प्रदेश की सत्ता किसी दल को सौंपने की होती तो जनता को सपा−बसपा ज्यादा रास आती थी। जब प्रदेश की जनता का राष्ट्रीय दलों से मोहभंग हुआ तो उसकी भरपाई करने के लिए क्षेत्रीय क्षत्रपों मुलायम सिंह यादव और मायवती ने अपना डंडा और झंडा लेकर सियासी मैदान मारने में चूक नहीं की।
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वर्ष 2017 में हालात बदले और जनता ने दोनों को ही सिरे से नकार दिया। जिसका परिणाम मुख्यमंत्री के रूप में योगी सामने है। यूपी की कमान जब से प्रियंका गांधी को मिली है, तब से सूबे में कांग्रेस सड़कों पर आंदोलन करती नजर आ रही है। कांग्रेस को यूपी में दोबारा खड़ा करने की कवायद में जुटी प्रियंका गांधी अब स्वयं कांग्रेस को लीड कर रही हैं जिससे कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं के हौसले भी बुलंद हुए हैं। तिरंगा यात्रा में शामिल सेवादल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि भाजपा आज देश को तोडऩे का अभियान चला रही है। सेवादल के कार्यकर्ता इस यात्रा के माध्यम से देश को जोडऩे का अभियान पूरे प्रदेश में चला रहे हैं।
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