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– शरीर से निकलते ही गल जाती है सिरिंज- ऑटो लाक डिस्पोज होने के चलते गल जाती है सिरिंज- किसी प्रकार की अनहोनी की आशंका बिल्कुल खत्म
Ten People Die Due To Corona Vaccine In Germany After Norway, Doctor Also Died In Canada
मेरठ. कोरोना वैक्सीन की डोज स्वास्थ्यकर्मियों को जिस सिरिंज से दी जा रही है वह कोई साधारण नहीं है। वैक्सीन की तरह ही इस सिरिंज की भी अपनी कई खूबियां हैं। मेरठ में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी और वैक्सीनेशन इंचार्ज डाॅ. प्रवीण गौतम ने सिरिंज के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह बिल्कुल अलग तरह की सिरिंज है, जिस सिरिंज से कोरेाना वैक्सीन लगाई गई वह ऑटो लॉक डिस्पोजल है। टीकाकरण होने के बाद जैसे ही सिरिंज की सुई शरीर से बाहर आती गई। वैसे ही वह स्वत: ऑटो लॉक डिस्पोज होने से गलती चली गई, जिससे किसी भी प्रकार की आशंका या अनहोनी की कोई गुंजाइश ही नहीं बचती है।
यह भी पढ़ें- पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा: Corona वैक्सीन के दुष्प्रभाव से नहीं, इस वजह से हुई थी वार्ड ब्वॉय की मौत बता दें कि वैक्सीनेशन के दौरान सिरिंज को लेकर तमाम चर्चाएं थीं, लेकिन शासन ने इसको लेकर पूरा इंतजाम कर रखा था। उसके डिस्पोज ऑफ होने तक की व्यवस्था पर वेबकास्टिंग से नजर थी। इसके लिए बकायदा व्यवस्था की गई थी। हर सफाई कर्मी और नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी थी कि बेहद सतर्क रहकर इसका डिस्पोज ऑफ कराया जाना है। कोल्ड चैन से वैक्सीनेशन रूम तक पुलिस सुरक्षा में वैक्सीन कैरियर ले जाई गई। इसके अलावा सिरिंज भी पहले से ही टीम को सौंप दी गई थी। एक सीरिंज से एक लाभार्थी को ही टीका लगाया जा सकता है।
डॉ. प्रवीण गौतम बताते हैं कि एडी सिरिंज में वायल से उतनी ही डोज आती है, जितनी की जरूरत होती है। सिरिंज और निडिल को वैक्सीनेशन रूम में रखे अलग-अलग डिब्बों में रखा गया। हफ कटर से नीले रंग के बाक्स में निडिल, काले बाक्स में रैपर, लाल बॉक्स में सीरिंज की प्लास्टिक और यलो में कोटन रखा गया है। यह सब पहले से तय है कि सिरिंज की प्वाइंट किसमें रखी जाएगी और बाकी पार्ट किस डिब्बा में। पूरी गाइडलाइन के अंतर्गत इस पर वेब कास्टिंग के जरिए नजर रखी गई थी, जिससे संक्रमण पर पूरा काबू पाया जा सके।