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इस चिकित्सक का कहना है ब्लड कैंसर लाइलाज नहीं रहा, बता रहे हैं कैसे, देखें वीडियो

locationमेरठPublished: Dec 15, 2018 01:51:11 pm

Submitted by:

sanjay sharma

चिकित्सक का कहना है कि ब्लड कैंसर के मरीज को मानसिक रूप से मजबूत रहने की जरूरत
 

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इस चिकित्सक का कहना है ब्लड कैंसर लाइलाज नहीं रहा, बता रह हैं कैसे, देखे वीडियो

केपी त्रिपाठी, मेरठ। मेरठ के वैलेटिंस कैंसर अस्पताल में एक चिकित्सक ऐसा है, जो कि ब्लड कैंसर से जूझ रहे मरीजों में इस बीमारी से लड़ने का जज्बा भर रहा है। उनको इस बीमारी से लड़ने में खुद मदद कर रहा है। इस चिकित्सक का नाम हैं डा. राहुल भार्गव। वह ब्लड कैंसर से जूझ रहे मरीजों को न सिर्फ मानसिक रूप से मजबूत करते हैं, बल्कि समाज में भी यह संदेश दे रहे हैं कि यह बीमारी लाइलाज नहीं है। इससे पूरी तरह से लड़ा जा सकता है।
ये हैं बीमारी के लक्षण

डा. राहुल भार्गव के अनुसार आमतौर पर स्वस्थ रक्त कोशिकाएं जल्द खत्म हो जाती हैं और उसकी जगह नई कोशिकाएं आ जाती हैं जो कि बोन मैरो बनाती हैं, लेकिन ब्लड कैंसर में ये कोशिकाएं खत्म ही नहीं होती और ज्यादा जगह घेरने लगती हैं। इससे बोन मैरो बनने में दिक्कत होने लगती हैं और खून में स्वस्थ कोशिकाओं की संख्या कम होने लगती हैं। ब्लड कैंसर ज्यादातर खून, बोन मैरो और लिम्फेटिक सिस्टम में पाया जाता हैं।
ब्लड कैंसर के प्रकार

प्हला लिंफोमाज ब्लड कैंसर: लिंफोमाज सिस्टम, इंफेक्शन और रोगों से बचने में मदद करता हैं। डा. भार्गव के अनुसार इस बीमारी में कई लिंफोसाइट्स बनने लगते हैं और ये काफी समय तक बने रहते हैं, जो इम्युनिटी को बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं। इसके लक्षण ट्यूमर की जगह व आकार पर निर्भर करते हैं और अगर गर्दन, बांहों के नीचे, पेट और जांघों के बीच के भाग में सूजन हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें, क्योंकि इस कैंसर की शुरूआत यहीं से होती है।
दूसरा है माइलोमा: आमतौर पर यह बीमारी बुजुर्गों में पाई जाती हैं और इसमें सफेद रक्त कोशिकाओं के प्लाज्मा तेजी से बढ़ने लगते हैं, जिससे इम्युनिटी बहुत प्रभावित होती हैं।

तीसरा होता है ल्यूकेमिया: इसमें रोगी की सफेद रक्त कोशिकाएं असामान्य तरीके से बढ़ने लगती हैं और ये खून बनाने की प्रकिया को तो प्रभावित करती ही हैं, साथ ही यह बोन मैरो पर भी अटैक कर देती हैं। इसलिए ल्यूकेमिया में खून की कमी, हड्डियों में दर्द और चक्कर आना जैसी समस्या देखने को मिलती है।
शरीर में इन बदलावों पर रखें नजर

यदि तेजी से वजन कम हो रहा हो या फिर बार बार बुखार आ रहा हो। रात को सोते समय पसीना का आना। पेट में अचानक से बेवजह सूजन का होना। बिना काम करे थकावट महसूस होना। इसके अलावा शरीर के किसी हिस्से में गांठ बनना या उससे खून आना। खरोंच या चोट लगने पर खून का बंद न होना। अक्सर हड्डियों में दर्द होना।
क्या हो सकते है कारण

इसका कारण इम्युनिटी कम होना। एचआईवी संक्रमित होना। किसी तरह की रेडियेशन थेरेपी का हाई डोज लेना या फिर अनुवाांशिक कारण के अलावा किसी भी तरह की इफेक्शन भी हो सकता है।
इसका है ये इलाज

डा. राहुल भार्गव बताते हैं कि आमतौर पर खून की जांच, एक्सरे, लेपरोस्कोपिक और ट्यूमर मार्कर टेस्ट यानी कि इससे शरीर की कोशिकाओं खून और मूत्र का टेस्ट किया जाता है। वैसे तो ब्लड कैंसर में बोन मैरो ट्रांसप्लांट काफी कारगर इलाज हैं। फिर नई कोशिकाएं संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं और इलाज के बाद रोगी का इम्यून सिस्टम काफी बेहतर हो जाता है। बोन मेरो ट्रांसप्लांट से पहले मरीज की स्थिति, उसकी शरीरिक क्षमता और बीमारी की स्टेज इत्यादि का भी ध्यान रखा जाता है। ये भी देखा गया हैं कि बोन मेरो ट्रांसप्लांट करने से पहले डॉक्टर्स रोगी को कीमीथेरेपी और रेडिएशन थेरपी देते हैं, जिससे कैंसर के सेल्स को खत्म किया जा सके। बोन मैरो ट्रांसप्लांट में मरीज को खून की काफी जरूरत पड़ती हैं, इसलिए उसकी हालत बेहतर होने में कई महीने लग सकते हैं, लेकिन ब्लड कैंसर का इलाज बिल्कुल संभव है और इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं हैं।

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