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यूपी के इस गांव में 1857 से नहीं मनाया जाता दशहरा पर्व, जाानिए वजह

locationमेरठPublished: Oct 25, 2020 02:26:23 pm

Submitted by:

shivmani tyagi

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सभी गांव वालों ने मिलकर किया हवन
विधायक थे कार्यक्रम में मुख्य यजमान

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मेरठ के गगाेल गांव में हवन करते ग्रामीण

पत्रिका न्यूज नेटवर्क, मेरठ। यूपी का एक गांव ऐसा भी है जहां 1857 से दशहरा नहीं मनाया जाता। इस गांव का नाम गगोल है। दरअसल 1857 में हुए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों को आज के ही दिन इस गांव में फांसी पर लटका दिया गया था। उन क्रांतिकारियों की याद में 1857 से आज तक गगोल गांव में दशहरा पर्व नहीं मनाया गया।
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हर वर्ष दशहरे पर यहां केवल हवन किया जाता है। इस बार भी रविवार काे गांव में स्थित शहीद स्मारक में हवन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य यजमान मेरठ दक्षिण के विधायक डॉक्टर सोमेंद्र तोमर रहे। इस दौरान मंत्रोच्चारण के बीच विधायक और ग्रामीणों ने हवन में आहुति दी।
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ग्रामीणाें ने बताया कि अमर शहीद धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में आज़ादी के संग्राम में प्राणों की आहुति देने वाले शहीद राम सहाय, घसीटा सिंह, रम्मन सिंह, हरजस सिंह, हिम्मत सिंह, कढेरा सिंह, शिब्बा सिंह, बैरम सिंह, दरबा सिंह ने 1857 में ग्राम गगोल से क्रांति की अलख जगाई थी। ब्रिटिश सरकार ने मुकदमा चलाकर दशहरा पर्व के दिन वीर शहीदों को पीपल के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया था। उस दिन से आज तक गगोल गांव में दशहरा नहीं मनाया जाता है।
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विधायक सोमेंद्र तोमर ने कहा कि हम सभी को देशभक्ति की भावना को सर्वोपरि रखते हुए सदैव समाज और देश हित में कार्य करना चाहिए। हवन के पश्चात शांति पाठ कर शहीदों की आत्मा शांति के लिए प्रार्थना की गई। इस अवसर पर ब्लाक प्रमुख नितिन कसाना, ओमप्रकाश चेयरमैन, राजकुमार, महेंद् के अलावा गांव के अन्य ग्रामीण भी एकत्र रहे।

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