यह भी देखेंः पत्रिका एक्सक्लूसिव : मायावती के खास और पूर्व DGP ब्रजलाल ने SC-ST Act पर दिया बड़ा बयान 2007 में मायावती हटा चुकी थी एससी-एसटी एक्ट एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष ब्रजलाल ने बताया कि बहन जी ने अपने कार्यकाल में सभी दलित अधिकारियों को किनारे लगा दिया। बहन जी दलितों की मसीहा बनती हैं। 20 मई 2007 को उन्होंने मुख्यमंत्री रहते आदेश किया था कि हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार इनको छोड़कर और किसी भी मामले में एससी-एसटी एक्ट न लगाया जाए। आरोपी को पीटिए, तोड़िए लेकिन एससी-एसटी एक्ट न लगाए जाए। ब्रजलाल ने कहा कि बहन जी ने ये आदेश सीआरपीसी 154 के खिलाफ दिया था। उन्होंने कहा कि जो आज सबसे ज्यादा चिल्ला रही हैं, उन्हीं बहन जी ने सबसे अधिक दलितों का दमन किया।
यह भी पढ़ेंः मायावती के इस करीबी पूर्व विधायक ने भाजपा सरकार पर लगाया अपनी हत्या का षडयंत्र रचने का आरोप बहन जी ने तो एससी-एसटी आयोग में ही संशोधन कर दिया पूर्व डीजीपी ब्रजलाल ने बताया कि 1995 में एससी-एसटी आयोग का गठन होने के बाद इसमें कहा गया कि इसमें दलित ही सदस्य और पदाधिकारी होंगे, लेकिन सन 2000 में बहन जी ने आते ही इस एक्ट में संशोधन करते हुए यह कहा कि इसमें एससी-एसटी के अलावा अन्य जाति के लोग भी होंगे। अखिलेश ने तो इससे भी बड़ी पराकाष्ठा को पार कर दिया। उन्होंने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बैकवर्ड क्लास से और 17 में से मात्र मेंबर दलित बनाए गए। बाकी अन्य जाति के थे। जबकि भाजपा ने आयोग में सभी मेंबर और पदाधिकारी एससी-एसटी कोटे से ही बनाए हैं।
सबसे अधिक दुरुपयोग मायावती ने किया उन्होंने कहा कि एससी-एसटी एक्ट का सबसे अधिक दुरूपयोग मायावती ने किया है। उनके कार्यकाल में ही सबसे अधिक दलितों पर अत्याचार हुए। भाजपा राज में तो आज भी दलित सुरक्षित हैं।