मेरठ

Patrika Exclusive: मायावती के खास रहे पूर्व डीजीपी ने SC-ST Act को लेकर बसपा सुप्रीमो पर दिया यह बड़ा बयान

एससी-एसटी को लेकर दो अप्रैल को दलित समाज के बंद में हुआ था उपद्रव

मेरठSep 18, 2018 / 06:32 pm

sanjay sharma

केपी त्रिपाठी, मेरठ। एससी-एसटी एक्ट पर इस समय देश में आम और राजनैतिक गलियारों में गरम बहस छिड़ी हुई। इसके पक्ष में कभी दलित संगठन तो विरोध में सवर्ण संगठन बंद का आयोजन कर चुके हैं। मेरठ में भी इसके समर्थन में बीती दो अप्रैल को हुए बंद में भारी हिंसा हुई थी। मेरठ ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में भी हिंसा हुई थी। बसपा भी इस एक्ट को लेकर मुखर है, लेकिन जो बसपा आज एससी-एसटी को लेकर भाजपा सरकार को घेरने के प्रयास में जुटी है। उसी बसपा की सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने खुद अपने कार्यकाल में इस पर रोक लगा दी थी। यह कहना है मायावती के करीबी रहे और सूबे के पूर्व डीजीपी ब्रजलाल का। ब्रजलाल सूबे के तेज-तर्रार आईपीएस माने जाते थे। वर्तमान में वे भाजपा सरकार में एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष हैं। मेरठ आए ब्रजलाल से इस मसले पर ‘पत्रिका’ की खुलकर बातचीत हुई। मायावती के इस करीबी आईपीएस ने एससी-एसटी मामले में खुद मायावती को ही कटघरे में खड़ा कर दिया।
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2007 में मायावती हटा चुकी थी एससी-एसटी एक्ट

एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष ब्रजलाल ने बताया कि बहन जी ने अपने कार्यकाल में सभी दलित अधिकारियों को किनारे लगा दिया। बहन जी दलितों की मसीहा बनती हैं। 20 मई 2007 को उन्होंने मुख्यमंत्री रहते आदेश किया था कि हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार इनको छोड़कर और किसी भी मामले में एससी-एसटी एक्ट न लगाया जाए। आरोपी को पीटिए, तोड़िए लेकिन एससी-एसटी एक्ट न लगाए जाए। ब्रजलाल ने कहा कि बहन जी ने ये आदेश सीआरपीसी 154 के खिलाफ दिया था। उन्होंने कहा कि जो आज सबसे ज्यादा चिल्ला रही हैं, उन्हीं बहन जी ने सबसे अधिक दलितों का दमन किया।
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बहन जी ने तो एससी-एसटी आयोग में ही संशोधन कर दिया

पूर्व डीजीपी ब्रजलाल ने बताया कि 1995 में एससी-एसटी आयोग का गठन होने के बाद इसमें कहा गया कि इसमें दलित ही सदस्य और पदाधिकारी होंगे, लेकिन सन 2000 में बहन जी ने आते ही इस एक्ट में संशोधन करते हुए यह कहा कि इसमें एससी-एसटी के अलावा अन्य जाति के लोग भी होंगे। अखिलेश ने तो इससे भी बड़ी पराकाष्ठा को पार कर दिया। उन्होंने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बैकवर्ड क्लास से और 17 में से मात्र मेंबर दलित बनाए गए। बाकी अन्य जाति के थे। जबकि भाजपा ने आयोग में सभी मेंबर और पदाधिकारी एससी-एसटी कोटे से ही बनाए हैं।
सबसे अधिक दुरुपयोग मायावती ने किया

उन्होंने कहा कि एससी-एसटी एक्ट का सबसे अधिक दुरूपयोग मायावती ने किया है। उनके कार्यकाल में ही सबसे अधिक दलितों पर अत्याचार हुए। भाजपा राज में तो आज भी दलित सुरक्षित हैं।

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