इस बार मेरठ में आगामी 10 फरवरी को मतदान होने हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने के लिए कर्मचारियों की संख्या भी पर्याप्त होनी चाहिए। लेकिन चुनावी डयूटी से पहले ही यह संख्या जुटाने में जिला प्रशासन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी कर्मचारी अपनी चुनावी डयूटी कटवाने के लिए तरह—तरह के बहाने और मेडिकल सर्टिफिकेट तक जमा कर रहे हैं। चुनाव डयूटी न करने के इनके तर्क भी बहुत अजीब है।
यह भी पढ़े : UP Assembly Election 2022 : 20 रुपये का चाय समोसा,17 की पलंग 7 का जग, ये है प्रत्याशियों के लिए आयेाग की रेट लिस्ट जो कर्मचारी चुनावी डयूटी नहीं करना चाहते उनमें कुछ महिलाएं अपनी सास के बीमार होने तो कोई पुरूष सरकारी कर्मचारी घर में बच्चों की देखभाल और अपनी कोविड बीमारी का सर्टिफिकेट लगा रहा है। इतना ही नहीं कुछ लोग पुरानी जान-पहचान का हवाला देकर भी अपनी चुनाव ड्यूटी कटवाने के लिए लगे हुए हैं।
बता दे कि विधानसभा चुनाव में जिन कर्मचारियों की डयूटी लगाई जा रही है उनको अतिरिक्त सतर्कता के साथ टीकाकरण की बूस्टर डोज भी दी जा रही है। इसके बाद भी विभिन्न विभागों के कर्मचारी बीमारी से लेकर पुरानी पहचान का हवाला देकर ड्यूटी कटवाने के लिए विकास भवन के चक्कर काट रहे हैं। यहां पर सबसे बुरा हाल शिक्षा विभाग का है। उसमें भी बेसिक शिक्षा विभाग का। जहां पर कई शिक्षिकाओं ने अपनी सास व मां के बीमारी का हवाला देते हुए चुनावी ड्यूटी से मुक्त करने का आग्रह किया है। वहीं एक सरकारी शिक्षक ने तो घर में बच्चों को संभालने के लिए ड्यूटी कटवाने को आवेदन किया है।
यह भी पढ़े : Assembly Election 2022: चुनाव आयोग ने रैली और रोड शो पर लगी रोक आगे बढ़ाई,अब 22 जनवरी तक करना होगा डिजिटल प्रचार इसके अलावा एक महिला ने ससुर की देखभाल के लिए चुनावी ड्यूटी कटवाने को प्रार्थना पत्र दिया है। सीडीओ शशांक चौधरी ने बताया कि बीमार कर्मियों के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है। पड़ताल के बाद ही किसी को ड्यूटी से मुक्त किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिन कर्मचारियों की डयूटी लगाई गई है उनको बुस्टर डोज लगवाई जा रही है।