Highlights:
— आगामी 12 फरवरी से शुरू हो रहे गुप्त नवरात्र
— तंत्र—मंत्र और सिद्धि के साथ ही दुखों से दिलाता है मुक्ति
— गुप्त नवरात्रि की पूजा दिलाती है दुखों से मुक्ति
पत्रिका न्यूज नेटवर्कमेरठ। आमतौर पर लोग जानते हैं कि नवरात्रि का पर्व साल में दो बार मनाया जाता है, जिसमें मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के बारे में कहा जाता है कि इन दिनों में जो भी व्यक्ति सच्चे मन से और विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करता है, माता उसकी सभी कष्टों को हर लेती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्र की तरह गुप्त नवरात्र भी मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल बाजपेयी शास्त्री ने बताया कि गुप्त नवरात्र को तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए खास माना गया है। गुप्त नवरात्रि में विशेष पूजा से आपको कई प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है। यह भी माना जाता है कि तांत्रिक गुप्त नवरात्रि में महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए मां दुर्गा की उपासना करते हैं।
यह भी पढ़ेंं: Gold Rate: 16 वर्षों में 7 हजार से 56 हजार तक पहुंचे सोने के रेट, जानिये कब-कब कितना बढ़ा भावइस मंत्र के जाप से मिलेगा मनोवांछित फल पंडित अनिल शास्त्री के अनुसार शास्त्रों में कुल चार प्रकार के नवरात्र के बारे में वर्णन किया गया है। पहला चैत्र नवरात्रि, दूसरा आषाढ़ नवरात्रि, तीसरा शरद नवरात्रि और चौथा माघ नवरात्रि। इनमें आषाढ़ और माघ की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक और अघोरी मां दुर्गा की आधी रात में पूजा करते हैं। पूजा के लिए मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करने के बाद लाल रंग का सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी चढ़ाई जाती है और फिर मां को पानी वाला नारियल, केले, सेब, खील, बताशे और शृंगार का सामान चढ़ाया जाता है। गुप्त नवरात्रि में सरसों के तेल से दीया जलाकर ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करने मनोवांछित फल मिलता है।
इन देवियों की करें पूजा गुप्त नवरात्रि में की गई पूजा और व्रत को गुप्त रखा जाता है। माना जाता है कि इससे इसके प्रभाव में बढ़ोतरी होती है। गुप्त नवरात्रि में मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी की पूजा-अर्चना की जाती है।
यह भी देखें: चालबाज तेंदुआ परिवार ने फेल किया ‘आपरेशन तेंदुआ’इस मुहूर्त में करें घट स्थापना पंडित अनिल बाजपेयी शास्त्री जी के अनुसार इस बार 12 फरवरी 2021 शुक्रवार से शुरू हो रही है प्रतिपदा तिथि आरंभ 11 फरवरी 2021 दिन बृहस्पतिवार रात 12:34 से प्रतिपदा तिथि समाप्त 12 फरवरी 2021 दिन शुक्रवार की रात 2:39कलश स्थापना मुहूर्त प्रातः 8:34 से लेकर 9:00 कर 59 मिनट तक रहेगी। दोपहर 12:13 से लेकर के 12:18 तक भी कलश स्थापना की जा सकती है। साधक पूर्णता सात्विक आहार एवं ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अर्धरात्रि में मां 10 महाविद्याओं की पूजा करें निश्चित ही जीवन मंगलमय होगा।