बता दें कि इस माह 12 फरवरी से 21 फरवरी तक माघ नवरात्रि होंगे यह गुप्त नवरात्र हैं। नवरात्रों में शुंभ निशुंभ का वध करने वाली मां सरस्वती की उपासना प्रमुखता से होती है इन नवरात्रों में शाकंभरी पूजन का भी विशेष महत्त्व व विशेष विधान है। इन नवरात्रों में सभी प्रकार की गुप्त साधना प्रमुख रूप से फलदाई होती हैं। उन्होंने बताया कि इन नवरात्र में देवी की पूजा का अपना विशेष महत्व है। इन नवरात्र में पूजन करने से देवी का आर्शिवाद सदा बना रहता है।
यह भी देखें: मौनी अमावस्या पर अयोध्या पहुंचें लाखों श्रद्धालु ये है शुभ मुहूर्त :- -कलश स्थापना का मुहूर्त सुबह 8:34 से 9:59 बजे तक -अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से 12:58 बजे तक
-नवरात्र समाप्त 21 फरवरी गुप्त नवरात्र में होती है मां के इन स्वरूपों की पूजा पंडित भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि इन गुप्त नवरात्र में मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धुम्रवती,माता बगलामुखी, मातंगी माता और कमला देवी की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्र में सात्विक और तांत्रिक दोनों ही प्रकार की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्र में अपनी मनोकामना को गुप्त रखा जाता है। इस दौरान पूजा उपासना करके लोग दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करते हैं। गुप्त नवरात्र में अखंड ज्योति जलाई जाती है। कलश स्थापना कर उपवास रखा जाता है। गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। उपवास रखा जाता है। मां को फल का भोग लगाकर उन्हें वस्त्र और श्रृंगार सामग्री अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।