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Guru Purnima: 70 साल बाद गुरुपूर्णिमा पर बन रहा विशेष योग, जानिए महत्व और शुभ मुहूर्त

locationमेरठPublished: Jul 24, 2021 10:08:16 am

Submitted by:

Rahul Chauhan

मेेरठ सहित देशभर में आज मनाई जा रही गुरुपूर्णिमा। हिंदू धर्म में गुरुओ का है विशेष महत्व। आषाढ मास में पूर्णिमा पर गृहनक्षत्र विशेष संयोग लिए हुए।

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मेरठ। 70 साल बाद गुरुपूर्णिमा (Guru Purnima 2021) पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि और प्रीति योग लग रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार आज 24 जुलाई शनिवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में गुरु पूर्णिमा (guru purnima) मनाई जा रही है। साथ ही प्रीति योग भी इस दिन व्याप्त रहेगा। पंडित अनिल शास्त्री के मुताबिक इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 12.40 बजे से आरंभ होगा। इस योग का समापन 25 जुलाई को सुबह 5.39 बजे होगा। हिदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन वेद व्यास का जन्म हुआ था। उन्होंने महाभारत आदि अनेक ग्रंथों और महाकाव्यों की रचना की थी। कौरव और पांडव उन्हें गुरु मानते थे। इसलिए आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा कहा जाता है।
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गुरु पूर्णिमा विशेष महत्व

आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दो प्रकार हैं। पहला तो यह कि पूर्णिमा तिथि सभी तिथियों में सबसे बड़ी मानी जाती है। इस तिथि में चंद्र की कला और ग्रह-नक्षत्र विशेष संयोग लिए हुए रहते हैं। वहीं दूसरा यह है कि इस दिन से सावन मास की शुरुआत होती है। शास्त्रों में इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन अवंतिका में अष्ट महाभैरव के पूजन की कई किवदंतियां हैं। इस दिन गुरु के श्रीचरणों का पूजन करने का भी विधान है।
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गुरु पूर्णिमा का पौराणिक महत्त्व

पौराणिक शास्त्रों व वेदों में गुरु को हर देवता से ऊपर बताया गया है क्योंकि गुरु का हाथ पकड़कर ही शिष्य जीवन में ज्ञान के सागर को प्राप्त करता है। प्राचीन काल में जब गुरुकुल परंपरा का चलन था, तब सभी छात्र इसी दिन श्रद्धा व भक्ति के साथ अपने गुरु की पूजा-अर्चना कर, उनका धन्यवाद करते थे और शिष्यों की यही श्रद्धा असल में उनकी गुरु दक्षिणा होती थी। गुरु पूर्णिमा के शुभ पर्व पर देशभर की पवित्र नदियों व कुण्डों में स्नान करने और दान-दक्षिणा देने का भी विधान है। साथ ही इस दिन मंदिरों में भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन जगह-जगह पर भव्य मेलों का आयोजन भी होता है लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण यह पर्व सूक्ष्म रूप से मनाया जाएगा।
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