मेरठ

जलसे में सांप्रदायिक सौहार्द की बातें, मौलाना दे रहे मंदिर आैर हनुमान चालीसा की मिसाल

रमजान महीने के जलसों में हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोर
मौलाना सज्जाद ने जलसे में कर्इ मिसालें पेश की
धार्मिक सहिष्णुता व भाईचारे का सजीव उदाहरण बताया

मेरठJun 03, 2019 / 11:07 am

sanjay sharma

जलसे में सांप्रदायिक सौहार्द की बातें, मौलाना दे रहे मंदिर आैर हनुमान चालीसा की मिसाल

मेरठ। इन दिनों रमजान के दौरान आसमान से खुदा की नियामत बरस रही है। मस्जिदों में तरावीह और जलसों का दौर जारी है। देर रात तक मस्जिदों में तरावीह कर मुस्लिम अल्लाह की इबादत कर रहे हैं। मस्जिद मीना में देर रात जलसे का आयोजन किया गया। जिसमें मौलाना सज्जाद ने देश में कुछ ऐसी घटनाओं का जिक्र किया जो वाकई में हिन्दु-मुस्लिम की गंगा-जमुनी सभ्यता और विरासत का जीता जागता सबूत है। जो मुजफ्फरनगर कवाल कांड के बाद सांप्रदायिक दंगों का कलंक के रूप में जाना जाता है। उसी मुजफ्फरनगर में ऐसी भी चीजें मौजूद हैं जो कि दोनों समुदाय के लिए एक मिसाल है। यह बातें सज्जाद ने जलसे में आए लोगों से बयां की। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तानियों में साझी विरासत, सांस्कृतिक समावेशन तथा आपसी सहिष्णुता के प्रति गहरा विश्वास रहा है। भले ही उनका धार्मिक विश्वास कुछ भी हो और यही बात कर्इ घटनाओं से भी साबित होेती है।
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मुस्लिमों कर रहे मन्दिर की देखरेख

सज्जाद ने बताया कि मुजफ्फरनगर जिले के लददावाला स्थित एक हिन्दू मन्दिर का रखरखाव और दैनिक साफ-सफाई और समय-समय पर इसकी रंगाई-पुताई आदि कार्य क्षेत्र के स्थानीय मुस्लिम नागरिकों द्वारा किया जाता है। 1992 में अयोध्या की घटना के बाद हिन्दुओं ने इस मंदिर का परित्याग कर दिया था। मुस्लिम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब उनके हिन्द भाई वहां जाकर अपना धार्मिक अनुष्ठान करेंगे।
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मस्जिद का रखरखाव कर रहे हिन्दू

उन्होंने मुजफ्फरनगर जिले की एक और घटना का जिक्र करते हुए बताया कि इसी जिले में एक गांव हुआ करता है नन्हेडा। जहां हिन्दू राजमिस्त्री स्थानीय मस्लिम नागरिकों की अनुपस्थिति में 120 वर्ष पुरानी मस्जिद की देखरेख कर रहा है। राजमिस्त्री मस्जिद की साफ-सफाई, रखरखाव और समय-समय पर रंगाई-पुताई करवाता है।
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हनुमान की भक्ति में कव्वाली

इसी तरह से उन्होंने गुजरात राज्य स्थित बड़ोदरा के तरसाली में बने हनुमान मन्दिर का जिक्र करते हुए कहा कि वहां पर प्रतिदिन दो घंटे की कव्वाली का एक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। जिसमें पवनपुत्र की उपासना में मुस्लिम कव्वाल मधुर कव्वालियां गाते हैं। इस मन्दिर में प्रत्येक शनिवार को सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम और हजारों की संख्या में हिन्दू लोग प्रार्थना करते हैं। हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। हनुमान का आशीर्वाद लिया जाता हैै। यह अंतर धार्मिक सहिष्णुता एवं भाईचारे का जीता जागता उदाहरण है। उन्होंने बताया कि अल्लाह के लिए सभी एक हैं। धर्म बदलने से धार्मिक भावनाएं बदल जाती हैं। मजहब अलग होेने से पूजा का तरीका भी बदल जाता है, लेकिन अल्लाह तो एक ही है। भले ही उसके रूप अनेक हों। इस दौरान काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे आैर जलसे में हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसालों पर तालियां बजायी।
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