दवा के साथ योग से मजबूत होती रोग प्रतिरोधक क्षमता योगासन का असर एचआईवी मरीजों पर देखा जा रहा है। एचआईवी मरीज योगासन से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर रहे हैं। नोडल सेंटर में आने वाले मरीजों में करीब 30 प्रतिशत ऐसे एडस के मरीज हैं, जो दवा के साथ योगसन से जुड़कर अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बना रहे हैं।
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एडस के खिलाफ जंग लड़ने में योग दिखा रहा कमाल मेरठ के मेडिकल कालेज के एंटी रेटरोवायरल ट्रीटमेंट यानी एआरटी सेंटर पर इलाज शुरू कराने वाले करीब 30 फीसदी मरीजों पर योग का सकारात्मक असर दिखाई दे रहा है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हमला करने वाला एड्स का वायरस के खिलाफ जंग लड़ने में योग अपना कमाल दिखा रहा है। मेरठ में एआरटी सेंटर के नोएल अधिकारी डा0 तुंगवीर सिंह आर्य ने बताया कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर होने के चलते मरीजों की दवा शुरू करते समय उनको अनिवार्य रूप से योग करने की सलाह दी जाती है।
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दो प्रतिशत से बढ़ गए 30 प्रतिशत पहले करीब 2 फीसद एडस पीड़ित योग कर रहे थे। लेकिन इसके परिणाम उत्साहजनक आए तो अब 30 प्रतिशत से अधिक एड्स रोगी अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए योग का सहारा ले रहे हैं। योग करने वाले एडस पीड़ित मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता 250 सीडी फोर तक तढ़ रही है। जिससे एड्स मरीजों में संक्रमण का खतरा कम हो रहा है। एड्स के जो मरीज योग नहीं करते उनकेा बीच-बीच में किसी प्रकार की कोई ना कोई समस्या आ ही जाती है। डा0 तुंगवीर सिंह आर्य बताते हैं कि समान्य रूप से एक स्वास्थ्य व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता 1500 सीडी फोर होती है। जबकि एडस संक्रमित व्यक्ति में यह घटकर 500 और इससे भी नीचे आ जाती है।