यह भी पढ़ेंः लॉकडाउन के बीच सीजन का सबसे गर्म दिन, 72 घंटे के भीतर 47 डिग्री तक पहुंचेगा तापमान कोरोना के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है। जुमा की नमाज से लेकर पांचों वक्त की नमाज घरों में ही पढी जा रही है। लॉकडाउन के नियमों के मुताबिक नमाज-ए-ईद भी घर में पढ़ी जाएगी। इसको लेकर लोगों में जिज्ञासा है कि अगर पढऩी है तो इसका तरीका क्या होगा? अलीगढ मुस्लिम यूनिवॢसटी में प्रोफेसर रहे शहरकाजी जैनुस्साजिददीन कहते हैं कि ईद पर ईदगाह में नमाज की जगह नफ्ल नमाजों में से एक चाश्त की नमाज है वो अदा की जाएगी। सूरज निकलने से चढऩे तक इसकी फजीलत बयान की गई है।
यह भी पढ़ेंः कोरोना चेन तोड़ने के लिए हर घंटे सायरन बजने पर सभी सावधान, फिर कर रहे ये काम उन्होंने बताया कि कुछ हदीस में दो रकात और कुछ में चार रकात पढऩे का जिक्र है। शहरकाजी के अनुसार चाश्त की नमाज का महत्व मुस्लिम धार्मिक ग्रंथ सुनन इब्न माजा के भाग नंबर दो व पेज नंबर 153 (हदीस-1382) में जिक्र है कि मोहम्मद साहब ने कहा है, जो व्यक्ति चाश्त की दो रकातें पाबंदी से अदा करता रहे उसके गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। नमाज का वक्त सूरज उदय होने के कम से कम 25 से 30 मिनट बाद से लेकर सूरज चढ़त तक नमाज का वक्त रहता है। ईद की नमाज ईदगाह में जाकर अदा की जाती है, वहीं चाश्त की नमाज अपने घर में अदा की जाएगी। उस नमाज में छह तकबीर ज्यादा होती हैं। इस नमाज में वो तकबीरें नहीं होंगी।
यह भी पढ़ेंः स्कूलों की फीस देने के आ रहे मैसेज पर बच्चों ने सीएम योगी से लगाई गुहार, कहा- हमारे लिए कुछ कीजिए नमाज-ए-ईद छूटने पर नमाजे चाश्त अदा कर लेनी चाहिए। मौजूदा सूरतेहाल में नमाजे ईद के बदले चाश्त की नमाज अदा की जा सकती है। जहां तक ईद की नमाज का सवाल है तो वो वाजिब है। इसमें छह पढ़ी हुई तक वीरे वाजिब है, जबकि खुतबा सुन्नत है। उसका सुनना वाजिब है। ईद की नमाज सही होने के लिए इमाम के साथ कम से कम तीन बालिग मर्दों का होना जरूरी है। ईद तक मस्जिदें नहीं खुलती हैं तो ईद की नमाज घर पर ही अदा करें।