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खुले में पड़े गोबर के ढेर और गंदगी शहर के बीचों-बीच घनी बस्तियों में संचालित इन दूध डेरियों से स्थानीय लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। खुले मैदानों में पड़े गोबर के ढेरों में मच्छरों के साथ-साथ अनेकों बीमारियां पनप रही हैं। इनको शहर से हटाने की बात तो दूर की बात, नगर निगम अब तक शहर में संचालित दूध डेरियों की सूची तक तैयार नहीं कर पाया है। इतना ही नहीं दुधारू पशुओं के मालिक अपने पशुओं को महानगर की सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं, जिससे राहगीर आए दिन दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं। वहीं पशुओं के गोबर को पशुपालकों द्वारा तबेले के आसपास खुले मैदानों में फेंक दिया जाता है, जिसका सफाई कर्मचारियों द्वारा कभी उठान भी नहीं किया जाता है। इस गोबर में मच्छरों से साथ-साथ अन्य बीमारियां भी पनपने लगती हैं, जिससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। पुराने शहर का बुरा हाल सर्वाधिक डेरियां जिले के पुराने शहरों के बीचों-बीच हैं। जहां घनी आबादी वाले क्षेत्रों में संचालित हो रही दूध डेरियों के स्वामियों द्वारा गाय व भैंसों का गोबर तबेले के ही आसपास खाली पड़े खुले मैदानों में फेंक दिया जाता है। नगर निगम के सफाई कर्मचारी भी इस गोबर का उठान नहीं करते हैं। इस बारे में नगरायुक्त मनीष बंसल का कहना है कि इन डेरियों को शहर से बाहर करने के लिए मास्टरप्लान तैयार किया जा रहा है। जल्द ही इस पर काम किया जाएगा, जिसके बाद महानगर की सभी डेरियों को बाहर शिफ्ट करवा दिया जाएगा।