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मंदिरों की सजावट और देवी का श्रृंगार ताे पूर्व की तरह ही हुआ लेकिन मां के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों का दूर-दूर तक पता नहीं था। आलम ये था कि आज सुबह 6 बजे मंदिरों में पूरी तरह से माहौल बदला हुआ था। न तो भक्तों की चहल-पहल थी और ना ही मंदिर के बाहर लगने वाली दुकानों पर कोई भीड़। कोरोना संक्रमण ने इस बार मंदिरों में पूजा का स्वरूप भी पूरी तरह से बदलकर रख दिया।
घर में किया कलश स्थापना मंदिरों से बनाई दूरी
देवी के भक्तों ने घर में ही कलश स्थापना कर मंदिरों से दूरी बनाई। घर में देवी का पाठ भी किया गया। मंदिर में पुजारी भी कुर्सी पर बैठे रहे। पुजारियों ने बताया कि बहुत कम संख्या में भक्त मंदिर में नवरात्र के मौेके पर पूजा-पाठ के लिए पहुंचे। प्रतिवर्ष नवरात्र में मंदिर प्रांगण में पैर रखने तक की जगह नहीं होती थी। मंदिर में भक्तों द्वारा व्यवस्था बनवाने के लिए पुलिस को बुलवाना पड़ता था लेकिन इस बार शारदीय नवरात्र में स्वरूप पूरी तरह से बदला दिखा। मंदिर के बाहर भीख मांगने के लिए बैठे लाेग भी बैठे ही रह गए। मंदिर के बाहर फूल मालाओं की दुकानों पर भी कोई भीड़ नहीं दिखाई दी।
देवी के भक्तों ने घर में ही कलश स्थापना कर मंदिरों से दूरी बनाई। घर में देवी का पाठ भी किया गया। मंदिर में पुजारी भी कुर्सी पर बैठे रहे। पुजारियों ने बताया कि बहुत कम संख्या में भक्त मंदिर में नवरात्र के मौेके पर पूजा-पाठ के लिए पहुंचे। प्रतिवर्ष नवरात्र में मंदिर प्रांगण में पैर रखने तक की जगह नहीं होती थी। मंदिर में भक्तों द्वारा व्यवस्था बनवाने के लिए पुलिस को बुलवाना पड़ता था लेकिन इस बार शारदीय नवरात्र में स्वरूप पूरी तरह से बदला दिखा। मंदिर के बाहर भीख मांगने के लिए बैठे लाेग भी बैठे ही रह गए। मंदिर के बाहर फूल मालाओं की दुकानों पर भी कोई भीड़ नहीं दिखाई दी।