इसकी जानकारी तमन्ना से सुबह चार बजे कॉल करके अपने परिजनों को दी। उसने बताया कि वो सब सुरक्षित है। उसने बताया कि करीब 30 किमी का सफर पैदल तय करके वो कड़ाके की ठंड में बार्डर पर पहुुचे। वहीं लौटी गांव के वसीम और अब्दुल्ला भी पोलैंड बॉर्डर पर रहे। लेकिन पोलैड से कोई व्यवस्था नहीं मिलने परे वो सब वापस यूक्रेन लौट आए हैं। जहां पर वे अपने विश्वविद्यालय के बेसमेंट में हैं। बेसमेंट के भीतर करीब 500 भारतीय छात्र हैं। सभी लोग भयभीत हैं।
यह भी पढ़े : Russia Ukraine War : युद्ध से सहमा स्मार्टफोन और इलेक्ट्रानिक बाजार,आसमान पर पहुंचेगे चिपसेट के दाम छात्रों ने अपने परिजनों को बताया कि उनके आसपास धमाकें की आवाजे सुनाई दे रही है। फायरिंग के साथ ही रूसी आर्मी ने गैस की सप्लाई को बंद कर दिया है। उसके बाद से ही उनको मात्र एक समय ही खाना मिल रहा है। वहीं एक अन्य छात्र ने बताया कि उनको रोमाडिया बार्डर पर पहुंचाया गया। लेकिन वहां से पर काफी परेशानी के बाद उनको भीतर लिया गया है। किठौर उरूज उर्फ फातिमा भी रोमानिया बॉर्डर पर फंसी हुई है। अब्दुल खालिक यूक्रेन के धनीपरो शहर में बेसमेंट में अपनी जान अन्य लोगों के साथ बचाए हुए हैं।